नागपुर. आखिरकार महाराष्ट्र में देवेन्द्र फड़णवीस के कैबिनेट का विस्तार हो गया. मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 10 दिन महाराष्ट्र की नई नवेली सरकार को 39 मंत्री मिल गए हैं. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव फतह करने के बाद नए मंत्रियों के नाम पर काफी दिनों तक चर्चा चली. पुराने, कद्दावर शीर्ष नेताओं के नामों पर गहन चिंतन चलती रही है कि किसे सरकार में मंत्री दिया जाए. पद न मिलने पर नेताओं की नराजगी के साइड इफेक्ट पर चर्चा हुई. साथ ही बीते लोकसभा चुनाव में महायुति के खराब प्रदर्शन और नेताओं की प्रदर्शन भी अबकी देवेंद्र फडणवीस के मंत्रालय में फीट बैठने का मानक रहा. इस बात से तो खुद सीएम भी इंकार नहीं कर पाए कि मंत्री के चयन के दौरान ये भी देखा गया कि नेताओं की पिछले पांच सालों में प्रदर्शन कैसा रहा.
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस ने महायुति सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में चौंकाने वाली रणनीति अपनाई. कई वर्षों के मंत्री पद के अनुभव वाले कुछ नेताओं को पहले कैबिनेट विस्तार में जगह नहीं मिल सकी. हालांकि, शिंदे और पवार की पार्टी ने रविवार को शपथ लेने वाले मंत्रियों को अपना 2.5 साल का फॉर्मूला बताया है. उन्होंने कहा कि जो मंत्री अच्छा काम करेंगे वो आगे बढ़ेगा. आखिर कैबिनेट विस्तार के फैसले लेते वक्त सीएम देवेंद्र फडणवीस ने किस फॉर्मूले पर मंत्रियों का चयन किया, कई कद्दावर नेताओं को मंत्रालय में जगह नहीं मिलने की क्या वजह है.
इनके नाम पर विचार नहीं
फडणवीस के मंत्रालय में पिछली शिंदे सरकार में मंत्री रहे छगन भुजबल, दिलीप वलसे पाटिल, धर्मराव बाबा अत्राम रवींद्र चव्हाण, सुधीर मुनगंटीवार, विजयकुमार गावित, दीपक केसरकर, तानाजी सावंत और अब्दुल सत्तार को जगह नहीं मिली. ये ऐसे नेता थे जिनकी न केवल महाराष्ट्र की राजनीति में तूति बोलती थी बल्कि ये फडणवीस सरकार में मंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, लेकिन देवेंद्र ने सबको चौंकाते हुए इस बार इनके नाम को मंत्रालय से अलग रखा.
सीएम देवेन्द्र फडणवीस की प्रतिक्रिया
महाराष्ट्र विजय के बाद महायुति के तीनों पार्टी (भाजपा, एनसीपी और शिवसेना) के कई नेता मंत्रालय में अपनी दावेदारी कर रहे थे, लेकिन रविवार को मंत्री पद के नाम आने के बाद कई दिग्गज नेताओं का नाम सरकार के मंत्रालय से गायब रहा. नेताओं ने अपनी नराजगी जाहिर की, जब राजनीतिक पारा चढ़ने लगा, तब मुख्यमंत्री को स्वयं आकर बयान देना पड़ा. देवेंद्र फडणवीस का कहना है, ‘जिन नेताओं को कैबिनेट में मंत्री नहीं लिया गया, उन्हें पार्टी ने कुछ अलग जिम्मेदारियां देने का फैसला किया है, लेकिन आज जिन मंत्रियों को मौका नहीं दिया गया है यह भी हो सकता है कि इनमें से कुछ ने पिछले पांच साल में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया हो. इसलिए उन्हें मौका नहीं दिया गया हो.’
भुजबल को झटका
महाराष्ट्र के कद्दावर नेता छगन भुजबल को बड़ा झटका लगा है. उनको फडणवीस की मंत्रालय में जगह नहीं मिली है. उनके कार्यकर्ताओं ने एनसीपी (अजित पवार) के ऑफिस में जमकर उत्पात मचाया. कांग्रेस सरकार के अवाला वे शिंदे ओर फडणवीस के करकार में मंत्री रह चुके हैं. वे राज्य के उपमुख्यमंत्री पद भी संभाल चुके हैं. वे 2019 में वह महाविकास अघाड़ी और महायुति दोनों सरकारों में मंत्री भी रहे. उन्हें इस बार मंत्री पद नहीं मिला.
कई अन्य दावेदारों का पत्ता हुआ साफ
बीजेपी के रवींद्र चव्हाण, सुधीर मुनगंटीवार, विजयकुमार गावित का पत्ता कटा है. पूर्व के शिंदे सरकार के मंत्री दिलीप वलसे पाटिल का भी पत्ता कटा है. अगर मुनगंटीवार की बात करें तो लोकसभा चुनाव 2024 में हार के बाद, उनको विधानसभा चुनाव में जीत मिली थी. हो सकता है पार्टी ने रिवैल्यूएशन की वजह से उनकों मंत्रालय में नहीं रखा हो, या फिर पार्टी कोई अलग जिम्मेदारी देना चहती होगी. साथ ही शिंदे गुट के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत का पिछली सरकार में विवाद में रहना भारी पड़ा है. वहीं, पूर्व स्कूल शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर का पत्ता साफ हो गया है.
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2024, 11:09 IST