नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा मंगलवार को पेश किए गए केंद्रीय बजट में ‘भेदभाव’ के विरोध में कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्रियों समेत कम से कम चार मुख्यमंत्री 27 जुलाई को होने वाली नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने वाले हैं. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने मंगलवार शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की. जबकि कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने रात में सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि ‘आज पेश किया गया केंद्रीय बजट बेहद भेदभावपूर्ण और खतरनाक है, जो संघवाद और निष्पक्षता के सिद्धांतों के बिल्कुल खिलाफ है, जिसका केंद्र सरकार को पालन करना चाहिए. इसके विरोध में कांग्रेस के मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करेंगे. इस सरकार का रवैया संवैधानिक सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है. हम ऐसे आयोजन में भाग नहीं लेंगे जो केवल इस शासन के असली, भेदभावपूर्ण पहलुओं को छिपाने के लिए बनाया गया है.’
कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों में तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, कर्नाटक के सिद्धारमैया और हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू शामिल हैं. सिद्धारमैया ने ऑनलाइन पोस्ट किया कि ‘हमें नहीं लगता कि कन्नड़ लोगों की बात सुनी जा रही है, इसलिए नीति आयोग की बैठक में भाग लेने का कोई मतलब नहीं है. हमने विरोध के तौर पर नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है, जिसकी अध्यक्षता 27 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.’
बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार से आगे नहीं देखा
सिद्धारमैया ने कहा कि ‘कर्नाटक की जरूरतों पर चर्चा करने के लिए नई दिल्ली में सर्वदलीय सांसदों की बैठक बुलाने के मेरे गंभीर प्रयासों के बावजूद केंद्रीय बजट ने हमारे राज्य की मांगों की अनदेखी की है. यहां तक कि मेकेदातु और महादयी को मंजूरी देने की हमारे किसानों की मांगों को भी नजरअंदाज कर दिया गया है. विभिन्न श्रेणियों के तहत हमारे राज्य को मिलने वाले फंड को कम किया गया. मेट्रो और अन्य इंफ्रा परियोजनाओं के लिए फंड अभी भी एक दूर का सपना है.’ उन्होंने कहा कि पीएम ने अपनी सरकार को बचाने के लिए बजट में आंध्र प्रदेश और बिहार से आगे नहीं देखा.
तमिलनाडु को ‘सबसे बड़ा धोखा’
स्टालिन ने कहा कि बजट में तमिलनाडु को ‘सबसे बड़ा धोखा’ मिला है. उन्होंने केंद्र सरकार की राजकोषीय नीतियों और आवंटनों पर गहरा असंतोष व्यक्त किया, जिन्होंने तमिलनाडु की जरूरतों और मांगों को लगातार नजरअंदाज किया है. उन्होंने स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए आवंटन में कम बढ़ोतरी पर भी रोशनी डाली और इसे राज्य की मौजूदा जरूरतों को देखते हुए चिंताजनक बताया. उन्होंने बेरोजगारी और महंगाई जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को हल करने में विफल रहने के लिए बजट की आलोचना की, जो उन्होंने कहा कि आम लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 07:04 IST