बेगूसराय. बिहार के ग्रामीण इलाकों की महिलाएं जीविका समूह से जुड़कर काम कर रही हैं. जिसके चलते महिलाओं के आर्थिक स्थिति में काफी सुधार आया है. इसके साथ ही ग्रामीण इलाकों की तस्वीर भी बदल रही है. इतना ही नहीं काम करने वाली दीदियों का समाज में मान सम्मान भी बढ़ गया है. वैसे तो जीविका की कई योजनाएं संचालित है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सतत जीविकोपार्जन योजना सबसे खास है. बेगूसराय जिले के खोदावंदपुर की जीविका एमआरपी तकरीबन 14 हजार सदस्यों में से 30 आर्थिक रूप से पिछड़े परिवार की मदद करने में राज्य में पहले स्थान प्राप्त की है.
बिहार के सभी जिलों और प्रखंडों में लाखों जीविका एमआरपी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सतत जीविकोपार्जन योजना पर काम कर रही हैं. इसी योजना के तहत तीन महीने पहले खोदावंदपुर प्रखंड की प्रीति को एमआरपी के पद पर चयनित किया गया. प्रखंड परियोजना प्रबंधक मनोज कर्ण के मार्गदर्शन में काम करते हुए प्रीति ने राज्य स्तर पर पहला स्थान हासिल किया है. प्रीति ने लोकल 18 बिहार से बातचीत में बताया कि वह पढ़ाई के बाद घर पर खाली थीं. जीविका CLF ने तीन महीने पहले वैकेंसी निकाली, जिसके बाद उन्होंने आवेदन किया और चयनित होकर काम शुरू किया. वर्तमान में वह मेघौल पंचायत की देखरेख कर रही हैं. बीपीएम मनोज कर्ण ने बताया कि प्रखंड के 14,000 परिवारों की आर्थिक स्थिति जीविका के माध्यम से सुधारी जा रही है. वहीं, एमआईएस कर्मी अनामिका कुमारी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनकी टीम के साथी ने प्रदेश में नंबर-वन स्थान हासिल किया है, जो सबके लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा.
क्या है सतत जीविकोपार्जन योजना
सतत जीविकोपार्जन योजना (Sustainable Livelihood Scheme) एक ऐसी योजना है जिसका उद्देश्य लोगों को स्थायी और आत्मनिर्भर आजीविका के साधन उपलब्ध कराना है. यह योजना मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों, कमजोर वर्गों, और समाज के वंचित समूहों को ध्यान में रखकर चलाई जा रही है. बेगूसराय में इस योजना को सफल करने में जीविका प्रखंड परियोजना प्रबंधक मनोज कर्ण, एमआरपी प्रीति कुमारी, बीआरपी जूही कुमारी, जीविका कम्युनिकेशन मैनेजर राजीव कुमार की अहम भूमिका सामने आ रही है.
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FIRST PUBLISHED : December 15, 2024, 17:24 IST