भागलपुर. बिहार कृषि विश्वविद्यालय किसानों की बेहतरी के लिए लगातार प्रयासरत है. यहां के कृषि वैज्ञानिक किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए फसलों पर लगातार प्रयोग करते हैं. कृषि विश्वविद्यालय का किसानों को उच्च क्वालिटी का बीज उपलब्ध कराने के लिए शोध पर अधिक फोकस है. इसको लेकर बीएयू कई तरह के फसल के बीज पर शोध कर रही है. पहले इस विश्वविद्यालय ने बिहार के किसानों को उन्नत सरसों का बीज उपलब्ण कराया. इसकी मांग भी काफी बढ़ गई.
बीएयू तिलहनी फसलों को अधिक बढ़ावा दे रहा है. हालांकि बीएयू में अब मक्के के बीज पर भी शोध शुरूकर दिया है. जल्द ही इस कृषि विश्वविद्यालय से तैयार होने वाले बीज से खेत लहलहाएगा. इससे किसानों को काफी फायदा होगा.
मक्का के दो किस्मों पर चल रहा है शोध
बीएयू के कुलपति डॉ. डी आर सिंह ने बताया कि विश्वविालय के कृषि वैज्ञानिक मक्के के दो प्रभेद पर काम रहे हैं. कृषि विश्वविद्यालय में बीआरएम 17-4 और बीआरएम 17-6 पर शोध किया जा रहा है. दोनों ही बीज काफी उत्तम किस्म का होने वाला है. सबसे खास बात यह है कि लोकल भूमि पर शोध होने से यहां के पैदावार में किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी. उन्होंने बताया कि अन्य मक्के के बीज की तुलना में बीएयू में तैयार होने वाले से किसानों को अधिक उत्पादन मिलेगा. इस बीज में पानी की कम जरूरत पड़े, इसका ख्याल रखा जा रहा है. वहीं मक्के के अन्य प्रभेद में पानी की अधिक जरूरत पड़ती है.
मकलांचल के नाम से प्रसिद्ध है नवगछिया
कुलपति ने बताया कि अब कृषि योग्य भूमि कम हो गई है. ऐसे में नए-नए प्रभेद के बीज को तैयार करना जरूरी हो गया है. अभी बिहार की सबसे बड़ी परेशानी है बाढ़ व सुखाड़ है. कहीं बाढ़ तो कहीं सुखाड़ देखने को मिलता है, इससे फसल की उत्पादकता प्रभावित होती है. ऐसे में बीएयू को दोनों परिस्थितियों को देखते हुए चलना है. इसलिए, ऐसे प्रभेद तैयार किए जा रहे हैं, जो कम समय में तैयार हो जाए. आपको बता दें कि बिहार का नवगछिया मक्का के लिए काफी प्रसिद्ध है. इसे मकलांचल के नाम से जाना जाता है. यहां बड़े पैमाने पर मक्के की खेती होती है. वहीं ये बाढ़ ग्रस्त इलाका भी है. यहां के लिए यह बीज काफी उपयुक्त होने वाला है.
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FIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 16:46 IST