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Freedom Fighters Of India : बालाघाट के वारासिवनी के स्वतंत्रता सेनानी दशाराम फुलमारी उर्फ दाखिया ने भारत छोड़ो आंदोलन में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहादत दी. 22 साल की उम्र में गोलीबारी चौक पर शहीद हुए दशाराम की प्रतिमा वहां स्थापित है. परिवार सरकारी…और पढ़ें
बालाघाट. आजादी की लड़ाई दो सौ सालों तक चलती रही. इस दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों ने आजादी के लिए संघर्ष किया. कई जतनों के बाद हमें अंग्रेजो से आजादी मिली. इस आजादी की लड़ाई में बालाघाट के स्वतंत्रता सेनानियों का भी अहम योगदान रहा. बालाघाट में 365 स्वतंत्रता सेनानी थे. इनमें से 92 स्वतंत्रता सेनानी वारासिवनी से हैं. इसलिए इसे स्वतंत्रता सेनानियों की धरती कहा जाता है. उन्हीं में से एक थे दशाराम फूलमारी उर्फ दाखिया, जो बालाघाट जिले से एकमात्र शहीद कहलाए. जानिए उनकी पूरी कहानी…
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान हुई थी शहादत
दशाराम फुलमारी का जन्म बालाघाट के वारासिवनी में 1920 को हुआ था. वह एक किसान परिवार के थे. दशाराम फुलमारी आजादी की लड़ाई में समय-समय पर आंदोलनों में सक्रिय थे. वहीं, गांधी जी के आह्वान पर साल 1942 में देश भर में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ था. ऐसे में यह आंदोलन बालाघाट के वारासिवनी में भी हुआ था, जिसमें जुलूस भी निकले. इस जुलूस में दशाराम फुलमारी सबसे आगे थे.
इस दौरान जुलूस ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और अंग्रेजों ने आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज किया. ऐसे में हिंसा भड़क गई और आंदोलनकारियों ने पत्थर फेंके. तब सुपरिन्डेन्ट ने गोली चलाने का आदेश दिया. ऐसे में सबसे आगे दशाराम थे और 22 साल की उम्र में वह शहीद हो गए. साथ ही कई लोग इसमें घायल हो गए. अब उस चौक को गोलीबारी चौक के नाम से जाना जाता है. इसमें दशाराम उर्फ दाखिया की प्रतिमा भी रखी गई है.
दशाराम का परिवार है नाराज
दशाराम का परिवार आज भी वारासिवनी के वार्ड नंबर 13 में रहता है. दशाराम की बेटी का देहांत हो चुका है. वहीं, उनका भतीजा भी वहीं रहता है. उनके परिवार का कहना है कि हर साल मीडिया के लोग आते हैं. लेकिन किसी प्रकार की मदद नहीं मिली. उनका कहना है कि बीड़ी कारखाने के पास उनकी शहादत हुई थी. ऐसे में वहां पर उनका एक स्मारक था. लेकिन बीते कुछ समय से वह भी कहा पता नहीं. वहीं, हमने दशाराम प्रवेश द्वार बनाने की मांग की थी लेकिन वह भी पूरी नहीं हो पाई है. इसके अलावा आयोजकों उनकी बर्सी पर अब बुलाते ही नहीं है.
Balaghat,Madhya Pradesh
January 14, 2025, 19:46 IST