इंदौर. मध्य प्रदेश के इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने का असर अब उन खास चौराहों और मंदिरों पर देखने को मिल रहा है, जहां यह लोग बहुत संख्या में मिलते थे. इसलिए अब कहा जा सकता है कि इंदौर के 70 फीसद चौराहे पूरी तरह से भिक्षुक मुक्त हो गए हैं. इस अभियान में इंदौर नगर निगम और प्रवेश संस्था के साथ इंदौर पुलिस भी जुड़ गई है. इंदौर को भिक्षुक मुक्त बनाने के लिए पुलिस ने भी एक नई पहल की है, जिसके बाद इंदौरी जागरूक हो गए हैं और उन्होंने भिक्षुक मुक्त इंदौर के लिए सहयोग देना शुरू कर दिया.
इंदौर पुलिस और नगर निगम ने एक मुहिम चलाई है, जिसमें कोई भी भिक्षुक चौराहे पर पकड़ा गया तो उसे जेल भेजा जाएगा. इसके साथ ही एक अलग मुहिम नए साल में शुरू हो सकती है जिसमें इंदौर के किसी भी चौराहे या मंदिर पर कोई भी शहर का नागरिक भिक्षा देता हुआ मिला तो उस पर FIR दर्ज होगी. इसका मतलब साफ है कि भिक्षा लेना और देना दोनों ही अपराध है.
भिक्षुकों का पुनर्वास कर मुख्य धारा से जोड़ा गया
संस्था प्रवेश की रूपाली जैन बताती हैं कि इंदौर को भिक्षा मुक्त बनाने का अभियान आज से 3 साल पहले ही शुरू हो गया था. जिसके बाद निगम भी इस मुहिम में जुड़ गया. 2022 के पायलट प्रोजेक्ट के दौरान इंदौर से करीब 8 हजार भिक्षुक को शहर के खास चौराहों और मुख्य मंदिर से पकड़ा गया. अब लगभग सभी चौराहे और मन्दिर मुक्त हो गए हैं. इसमें पुनर्वास की बात की जाए तो लगभग 2500 भिक्षुक का पुनर्वास किया और उन्हें समाज की मुख्य धारा से जोड़ा गया. सैकड़ो लोग जो राजस्थान और गुजरात जैसे प्रदेश से आदतन भिक्षा मांगने आए थे, उन्हें भी उनके मूलस्थान पर पहुंचाया.
रोजगार से जुड़ने के प्रति किया जागरुक
कुछ समाज के लोगों को जागरूक किया और रोजगार से जोड़ा. जो भिक्षा मांगने को अपना कर्म और धर्म समझते थे. इन्हें कौशल प्रशिक्षण दिया. इसके अलावा शहर में 221 मेंटल केस मिले. इन्हें भी मेंटल हेल्थ चेकअप कराने के बाद रोजगार से जोड़ने की कोशिश की. ये लोग अभी भिक्षुक पुनर्वास केंद्र पर ही रहकर अपने हुनर के जरिए जीवन यापन करते हैं.
भिक्षा लेना और देना दोनों अपराध
इंदौर में अब भिक्षा लेना और देना दोनों अपराध है. ये समाज को अभिशापित कर रहे हैं. इसलिए कलेक्टर महोदय ने यह नियम निकाला है कि भिक्षा देने वाला भी जेल भेजा जाएगा, यानी उस पर FIR दर्ज कर दी जाएगी. इंदौर में यह नियम भी सार्थक साबित होगा क्योंकि इसके पहले जारी किए गए आदेश से शहर के कई चौराहे और मन्दिर भिक्षुक मुक्त हो गए हैं.
प्रवेश संस्था की प्रमुख रुपाली जैन का कहना है कि- “दान सुपात्र हाथ में जाए तो ही सार्थक है, नहीं कुपात्र हाथ में जाए तो पाप ही है. अगर आप भी कुछ नेक काम करना चाहते हैं तो आप भिक्षुक को दान देने की बजाय उन्हें समाज की मुख्य धारा और रोजगार से जोड़ने की कोशिश करें. भिक्षा नहीं, शिक्षा दें… एक संकल्प ले और समाज में मिसाल कायम करे क्योंकि यह समाज को सशक्त करें.”
आए दिन होती थी कोई-न-कोई घटना
एमवाय हॉस्पिटल पर दुकानदार बताते हैं, कि पहले ये लोग चौराहे पर हॉस्पिटल और मंदिर के बाहर बहुत परेशान करते थे. प्रशासन की कोशिश से आमजन को राहत मिली है. इनकी हरकतों और पकड़ा-पकड़ी से कई अपराध होते थे, जैसे- सड़कों पर एक्सीडेंट, जेब कतरे जाने की घटना इत्यादि. लेकिन अब इन सबसे राहत मिल रही है. प्रशासन का अगला नियम भी सार्थक होगा.
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FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 14:01 IST