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मनमोहन सिंह का वो किस्सा…ललित बाबू से हुई अनबन और बीच में आईं इंदिरा गांधी!

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हाइलाइट्स

जब मंत्री ललित नारायण मिश्रा के सामने अड़ गए थे डॉ मनमोहन सिंह. डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा-अगर अधिक हुआ तो मैं चला जाऊंगा पढ़ाने. मंत्री ललित बाबू और डॉ मनमोहन सिंह की लड़ाई के बाद हुआ प्रोमोशन.

पटना. भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के निधन के बाद बिहार के लोग जहां प्रदेश के विकास में उनके योगदान को याद कर रहे हैं, वहीं लोगों की जुबान पर कई किस्से भी हैं. लालू प्रसाद यादव से उनके खट्टे-मीठे रिश्तों की चर्चा भी होती रहती है. बिहार में 2008 की कुसहा त्रासदी (कोसी नदी की बाढ़) के समय प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी दरियादिली भी लोगों ने देखी तो वहीं, बीते जमाने में केंद्र सरकार के मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्रा जी से उनकी अनबन की कहानी भी रही. दरअसल, यह किस्सा आज लोगों को इसलिए याद आ रहा है क्योंकि इस अनबन के बाद उस दौर में डॉक्टर मनमोहन सिंह को इंदिरा गांधी की सरकार में आर्थिक सलाहकार बनाया गया था. ऐसा न हुआ होता तो शायद बाद के दौर में हम डॉ मनमोहन सिंह को देश के प्रधानमंत्री के तौर पर भी नहीं देखते.

कहानी कुछ यह है कि उस वक्त के तत्कालीन मंत्री ललित नारायण मिश्र ने डॉ मनमोहन सिंह को कमर्स मिनिस्ट्री में सलाहकार के तौर पर नियुक्त कर किया था. इसी अवधि में डॉ मनमोहन सिंह ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की थी जिस पर मंत्री ललित नारायण मिश्र ने नाराजगी जताई थी. इसको लेकर डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि वह अब दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में दोबारा प्रोफेसर का काम करने चले जाएंगे. इस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दखल दी और इसके साथ ही डॉ मनमोहन सिंह सुर्खियों में आ गए.

कहा जाता है कि उस दौर में डॉक्टर मनमोहन सिंह खुलेआम इस बात को कहते थे कि विदेशी व्यापार के मामले में या उसे विषय पर भारत में उनसे अधिक कोई नहीं जानता. हालांकि, तब जब यह बात तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक पहुंची तो उन्होंने डॉक्टर मनमोहन सिंह का बचाव किया और उन्हें अपना मुख्य आर्थिक सलाहकार बनने का फैसला ले लिया. यानी मंत्री से उनकी अनबन से उनकी पदोन्नति का रास्ता खुल गया था.



पूरी कहानी कुछ यूं है….
डॉ मनमोहन कैंब्रिज से लौटे तो उन्हें विदेश व्यापार विभाग में सलाहकार (एडवाइजर) नियुक्त किया गया था. उस कालखंड में विभाग के मंत्री ललित नारायण मिश्र थे. तब डॉ मनमोहन सिंह ने भारत के आयात और निर्यात पर कैंब्रिज में अपना शोध किया था और इसी कारण उन्‍हें यह जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी. इसी दौरान कैबिनेट में भेजे गए नोट से मंत्री ललित नारायण मिश्र सहमत नहीं थे और इसी को लेकर मनमोहन सिंह से उनकी अनबन हुई थी. अनबन हुई तो डॉ मनमोहन सिंह ने तब कहा था कि ‘अगर अधिक हुआ तो वह दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अपनी प्रोफेसर की नौकरी पर वापस चले जाएंगे.

यह बात प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक भी पहुंची. तब पीएम के सचिव पीएन हक्‍सर हुआ करते थे. इस बात की भनक जब उन्हें लगी तो उन्होंने डॉ मनमोहन सिंह से बात की और इसके बाद उन्‍होंने डॉ मनमोहन से कहा कि वह कहीं नहीं जा रहे हैं. पीएन हक्सर ने तब मनमोहन को वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनने का ऑफर दे दिया. इस प्रकरण का फलाफल यह रहा कि मंत्री ललित नारायण मिश्र के साथ उनकी असहमति और फिर अनबन उनके लिए प्रोमोशन लेकर आया.

बता दें कि डॉ मनमोहन सिंह ने 1970 और 1980 के दशक में भारत सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर एक अधिकारी के तौर पर काम किया. 1972 से 1976 तक वह भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार भी थे. वह 16 सितंबर 1982 से 14 जनवरी 1985 1985 से 1987 तक भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर भी रहे. प्लानिंग कमीशन के भी प्रमुख रहे थे डॉक्टर मनमोहन सिंह ने पंजाब के पंजाब यूनिवर्सिटी में मैट्रिक की पढ़ाई की थी. उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी ब्रिटेन से 1957 में अर्थशास्त्र में ऑनर्स की डिग्री ली थी. वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2014 (मई) तक भारत के प्रधानमंत्री भी रहे.

Tags: Bihar politics, Dr. manmohan singh, Indira Gandhi



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