फरीदाबाद. जगदीश सिंह, जो 14 एकड़ भूमि में खेती करते हैं, गेहूं की बुवाई से लेकर फसल की कटाई तक की प्रक्रिया और उससे जुड़े खर्चों और चुनौतियों के बारे में जानकारी दी. नई तकनीकों के उपयोग से बुवाई आसान हो गई है, लेकिन मुनाफे पर असर अब भी बना हुआ है.
किसान की कहानी Local18 से खास बातचीत
Local18 से बात करते हुए किसान जगदीश सिंह ने बताया कि वे 14 एकड़ में गेहूं की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पहले हाथ से बुवाई होती थी, लेकिन अब सीट ड्रिल मशीन के उपयोग से यह काम ज्यादा आसान हो गया है. फसल की शुरुआत जुताई से होती है और इसके बाद मशीन से बुवाई की जाती है.
फसल की सिंचाई और पोषण का तरीका
जगदीश सिंह ने बताया कि गेहूं की फसल को तीन से पांच बार तक सिंचाई की जरूरत होती है. फसल की बेहतर उपज के लिए 1 एकड़ में 50 किलो बीज, 1 बैग डीएपी और 2 बैग यूरिया का उपयोग किया जाता है. इन पोषक तत्वों से फसल को मजबूती और अच्छी उपज मिलती है.
जलवायु और मुनाफे की चुनौतियां
उन्होंने कहा कि इस समय फसल को कोई नुकसान नहीं है, लेकिन अगर पकते समय गर्मी बढ़ जाए तो नुकसान हो सकता है. पिछले साल मंडी में गेहूं की बिक्री से ज्यादा फायदा नहीं हुआ था. लागत और मुनाफे में ज्यादा अंतर न होने के कारण किसानों को आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
तकनीकी प्रगति से बदलाव
जगदीश सिंह ने नई तकनीकों को खेती के लिए फायदेमंद बताया. मशीनों के उपयोग ने जहां बुवाई को आसान और समय बचाने वाला बना दिया है, वहीं लागत और बाजार की समस्याएं अब भी जस की तस बनी हुई हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 19, 2024, 22:18 IST