कोडरमा. जीवन के विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं तो कुछ लोग सफलता की ऐसी कहानी गढ़ते हैं, जो हजारों लोगों के जीवन में उम्मीद की एक नई किरण और प्रेरणा का स्रोत बनते हैं. कोडरमा में स्कूल का संचालन कर रहे अनिल कुमार के संघर्षों की कहानी वैसे सभी लोगों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणास्रोत है, जो मुश्किल हालातो में हार मान जाते हैं. अनिल कुमार की सफलता के पीछे उनके संघर्षों की कहानी सुनकर आपके भीतर भी निश्चित तौर पर जीवन में आगे बढ़ने में सकारात्मक ऊर्जा के साथ सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी.
चाराडीह चेचाई में संचालित विवेकानंद कॉन्वेंट स्कूल के निदेशक अनिल कुमार ने Local 18 से खास बातचीत के दौरान बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में स्थित फुलवरिया हाई स्कूल से हुई. इसके बाद इंटर की पढ़ाई के लिए हजारीबाग चले गए. जहां उन्होंने इंटर कॉमर्स के फाइनल में कॉलेज के थर्ड टॉपर बनने के साथ जिले के टॉप 10 सूची में स्थान हासिल किया. इसके बाद घर वालों ने बिजनेस करने का सुझाव दिया. हालांकि उन्होंने अपनी पढ़ाई आगे जारी रखने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ना शुरू कर दिया. इसके बाद पटना, रांची और मुंबई में फिल्म सेट बॉय और सेल्समेन का कार्य किया. इस दौरान उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई जारी रखी.
अपनी पढ़ाई के लिए कई जगह पर किया काम
उन्होंने बताया कि स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद कोडरमा में उन्होंने फाइनेंस कंपनी और इसके बाद कोडरमा कोर्ट में डीड राइटर के साथ सहयोगी के रूप में कार्य किया. लेकिन वह इन सब कामों से संतुष्ट नहीं थे. उन्होंने बताया कि मजबूरी में उन्होंने अपने पॉकेट खर्च और पढ़ाई की खर्च के लिए इन सब कामों को किया. शिक्षा के महत्व को समझते हुए उन्होंने गांव में बच्चों को शिक्षित करने के उद्देश्य से बच्चों को ट्यूशन पढ़ना शुरू किया. बच्चों के परिजनों का बेहतर सहयोग मिलने पर उन्होंने गांव में ही किराए पर एक मकान लेकर वर्ष 2006 विवेकानंद पब्लिक स्कूल की शुरुआत की. वर्ष 2010 तक संघर्ष करने के उपरांत उन्होंने झुमरी तिलैया के मोरियावां में किराए पर एक चार कमरे का मकान लेकर बोर्डिंग स्कूल की शुरुआत की.
बच्चों के बीच जलाया शिक्षा का दीप
उन्होंने बताया कि वर्ष 2010 में उनकी शादी होने के बाद उनकी पत्नी खुशबू गुप्ता ने भी उनके इस संघर्ष के दौर में उनका साथ दिया. 2012 में उन्होंने चाराडीह में बंद होने के कगार पर पहुंच चुके सेंट्रल पब्लिक स्कूल को किराए पर लेकर बच्चों के बीच शिक्षा का दीप जलाने का कार्य किया. उन्होंने बताया कि इसके बाद चेचाई में उन्होंने अपनी जमीन खरीद कर बड़े प्रांगण में विवेकानंद कॉन्वेंट स्कूल का निर्माण कराया. जहां आज बच्चों के लिए हॉस्टल से लेकर सभी प्रकार की सुविधा उपलब्ध हैं. उन्होंने बताया कि अपने स्कूल में उन्होंने टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ मिलकर 35 लोगों को रोजगार से भी जोड़ा है.
शिक्षा प्राप्त करने का मतलब सिर्फ नौकरी पाना नहीं
उन्होंने कहा कि शिक्षा ग्रहण करने का मकसद कभी भी सिर्फ नौकरी पाना नहीं होना चाहिए. शिक्षा प्राप्त करने के बाद लोग स्वरोजगार शुरू कर कई लोगों को रोजगार से जोड़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि खुद के काम का मालिक बने और पूरी स्वतंत्रता से जीने का आनंद लोगों को नौकरी की जगह स्वरोजगार में ही मिल पाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 17:41 IST