शिमला. हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायलय ने दिल्ली स्थित हिमाचल भवन को अटैच करने के आदेश दिए. वहीं, इसके अगले ही दिन उच्च न्यायलय ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के 18 होटलों को बंद करने के आदेश दिए. इसमें होटलों का घाटे में होना कारण बताया गया. उच्च न्यायलय के इस आदेश को लेकर जनता का क्या कहना है, इसे लेकर लोकल 18 ने लोगों से बात की.
लोगों ने साफ तौर पर कहा कि यह सरकार की बहुत बड़ी नाकामी है कि सरकार ठीक प्रकार से न्यायालय में अपना पक्ष नहीं रख पाई. इन होटलों के घाटे में होने को लेकर भी जनता ने सरकार की निंदा की है.
सरकारी होटलों को लूट रहे सरकारी लोग
परमानंद भारद्वाज ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि इन होटलों को कोर्ट में घाटे में दिखा कर बंद करवाना, यह सरकार की सोची समझी चाल है. इन होटलों के बंद होने के बाद अब सरकार आगे अपने दोस्तों को सौंप देगी. इससे पैसा इकट्ठा करने के बाद नेता यह पैसा जेबों में डाल लेंगे. होटलों के बंद होने से प्रदेश का नुकसान होगा. सरकार ठीक प्रकार से उच्च न्यायलय में अपना पक्ष नहीं रख पाई है.
वहीं, मदन लाल शर्मा ने बताया कि कमाल की बात है निजी होटल चल रहे हैं और सरकारी होटल नहीं चल रहे हैं. क्योंकि सरकारी लोग ही इन होटलों को लूट रहे हैं. सरकार के मंत्री, सरकारी नुमाइंदे इन होटलों में जाकर फ्री का भोजन करते हैं. प्रदेश की यह स्थिति बहुत ही दुखदाई है, जो हमने इससे पहले कभी नहीं देखी.
आर्थिक स्थिति सुधारने में लगेगा थोड़ा समय
एमडी शर्मा ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि उच्च न्यायलय का फैसला सर्वोपरि है. उसे मानना पड़ता है. सरकार को अभी 2 वर्षों का समय हुआ है. आर्थिक स्थिति को सुधारने में थोड़ा समय लगेगा और आने वाले समय में उम्मीद है कि यह स्थिति बेहतर होगी. लेकिन, कर्मचारी और पेंशनर सरकार से खासे नाराज हैं, सरकार को इनके बारे में जरूर सोचना चाहिए.
वहीं, ठाकुर देवीलाल ने बताया कि होटलों का बंद होना हिमाचल सरकार की बदनामी है. इसका कारण यह भी है कि निजी ढाबों में जो भोजन 70 रुपए में मिलता है, वह भोजन सचिवालय में 35 रुपए का मिलता है. इसके अलावा MLA और MP सरकारी होटलों में फ्री में ठहरते हैं. इसके अलावा भी कई कारण हैं, जिससे होटलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 13:56 IST