नई दिल्ली: देश के जानेमाने वरिष्ठ उद्योगपति और टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है. रतन टाटा ने बुधवार रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांस ली. अंतिम दर्शन के लिए उनके पार्थिव शरीर को मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स हॉल में रखा जाएगा. इस बीच महाराष्ट्र और झारखंड सरकार ने राजकीय शोक की घोषणा की है. आइए इस खबर में जानते हैं राजकीय शोक क्या होता है.
बता दें कि आज सुबह 10 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक लोग उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे. राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. सुबह 10 बजे से लेकर दोपहर 3:30 बजे तक उनका पार्थिव शरीर दर्शन के लिए NCPA में रखा जाएगा. जो भी लोग दर्शन के लिए आएंगे उनसे मुंबई पुलिस ने अपील की है कि वहां पार्किंग की सुविधा नहीं है तो लोगों पुलिस के निर्देशों का पालन करना होगा और अपनी पार्किंग की व्यवस्था देख कर आएं. पुलिस पूरी तरह से तैनात रहेगी.
क्या होता है राजकीय शोक?
जब किसी बड़ी हस्ती की मृत्यु के बाद उनके लिए राजकीय शोक की घोषणा की जाती है तो उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है. राजकीय अंतिम संस्कार के दौरान मृतक के पार्थिव शरीर वाले ताबूत को तिरंगे में लपेटा जाता है. इसके साथ ही राजकीय शोक में ‘भारतीय ध्वज संहिता’ के मुताबिक राष्ट्र ध्वज तिरंगा को आधा झुका दिया जाता है. लेकिन इससे पहले मातृभूमि के सम्मान में इसे मस्तूल के शीर्ष पर उठाया जाता है और फिर नीचे किया जाता है. अंतिम संस्कार के समय गन सेल्यूट की रस्म की अदायगी की जाती है. राजकीय शोक के समय सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाता है.
इस दौरान राज्य में क्या होता है?
जब देश में राजकीय शोक का ऐलान किया जाता है तो उस अवधि तक राज्य की विधानसभा, सचिवालयों और महत्वपूर्ण कार्यालयों में लगे तिरंगे को आधा झुका दिया जाता है. शोक की घोषणा के बाद राज्य में कोई भी सरकारी कार्यक्रम या किसी समारोह का आयोजन नहीं किया जाता. राजकीय शोक के दौरान सार्वजनिक छुट्टी होना आवश्यक नहीं है.
कौन कर सकता है राजकीय शोक की घोषणा
पहले राजकीय शोक की घोषणा प्रधानमंत्रियों, राज्य के मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय मंत्रियों (पूर्व या वर्तमान में पद पर आसीन) के निधन पर ही की जाती थी. अब इस नियम को बदल दिया गया है. अब यह सम्मान उन सभी व्यक्तित्वों को दिया जाता है, जिन्होंने राष्ट्र के नाम को ऊंचा करने के लिए काम किया है. उनके कद और काम को देखते हुए राज्य सरकार यह फैसला लेती है. अब जीवन के सभी क्षेत्रों- राजनीति, विज्ञान, साहित्य, कला, कानून में बड़ा योगदान देने वाले लोगों को यह राजकीय सम्मान दिया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 08:51 IST