छतरपुर जिले में रबी फसल की बुआई शुरू हो चुकी है और इसके साथ ही खाद की मांग भी बढ़ गई है. किसानों के बीच डीएपी और एनपीके खाद को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जिसमें कृषि अधिकारियों ने डीएपी के विकल्प के रूप में एनपीके को सुझाया है. इस लेख में हम डीएपी और एनपीके खाद के फायदे और किसानों के अनुभवों पर विस्तृत जानकारी दे रहे हैं.
डीएपी की प्राथमिकता क्यों?
जिले के किसानों में आमतौर पर डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) खाद का अधिक उपयोग किया जाता है. डीएपी में उच्च मात्रा में फॉस्फोरस और नाइट्रोजन होता है, जो फसल की शुरुआती वृद्धि और जड़ों को मजबूत करने में सहायक होता है. इसकी कीमत 50 किलो के बैग के लिए 1350 रुपये निर्धारित की गई है, जो किसानों की बजट में आसानी से फिट हो जाता है. इसी कारण डीएपी खाद का उपयोग छतरपुर के अधिकांश किसान करते हैं.
कृषि अधिकारी की सलाह: एनपीके का उपयोग करें
छतरपुर जिले के कृषि अधिकारी डॉ. कबीर कृष्ण वैध का मानना है कि डीएपी के बजाय एनपीके (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) खाद का प्रयोग अधिक लाभदायक हो सकता है. डॉ. वैध के अनुसार, एनपीके खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटाश तीनों आवश्यक तत्व होते हैं, जो फसल की संपूर्ण वृद्धि के लिए जरूरी हैं. नाइट्रोजन पत्तियों के विकास में, फॉस्फोरस जड़ों और फूलों के विकास में, और पोटाश फसल की गुणवत्ता और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होता है.
एनपीके खाद का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह मिट्टी में आसानी से घुलकर पौधों को पोषण प्रदान करता है, जिससे मृदा की उर्वरता भी बरकरार रहती है. एनपीके खाद के 50 किलो बैग की कीमत 1470 रुपये है, जो डीएपी से थोड़ा अधिक है, लेकिन इसकी संतुलित पोषण क्षमता इसे एक बेहतर विकल्प बनाती है.
किसानों का अनुभव: एनपीके खाद से संतुष्टि
किसान जगरुप राजपूत ने बताया कि हर साल वे डीएपी का ही इस्तेमाल करते थे, लेकिन इस बार डीएपी की कमी के चलते उन्होंने एनपीके खाद खरीदी. उन्होंने कहा कि एनपीके खाद की गुणवत्ता भी डीएपी के समान ही है, क्योंकि यह मिट्टी में आसानी से घुलकर पौधों को पोषण देती है. उन्होंने चना, गेहूं और सरसों में एनपीके का इस्तेमाल किया और शुरुआती परिणामों से संतुष्ट हैं. जगरुप बताते हैं कि उनके किसान मित्रों ने भी एनपीके खाद का उपयोग किया और इसे फसल के लिए फायदेमंद पाया.
एनपीके खाद की पोषक तत्व और लाभ
एनपीके खाद का विशेष फायदा यह है कि यह फसल की संपूर्ण वृद्धि और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. नाइट्रोजन पत्तियों को हरा और घना बनाता है, फॉस्फोरस जड़ों को मजबूत करता है, और पोटाश पौधों को बीमारी से बचाता है. इस संतुलित पोषण के चलते फसल स्वस्थ और मजबूत होती है, जिससे उपज में वृद्धि होती है.
जिला प्रशासन की अपील: निर्धारित दरों पर ही खाद खरीदें
छतरपुर जिला प्रशासन ने किसानों से अपील की है कि वे निर्धारित दरों पर ही खाद खरीदें. जिले में डीएपी और एनपीके खाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं, इसलिए किसान भाइयों को काला बाजारी से बचने और अनावश्यक रूप से अधिक कीमत न चुकाने की सलाह दी गई है.
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FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 20:01 IST