झुंझुनूं. झुंझुनूं में फर्जी पोस्टमार्टम का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब एक फर्जी एफआईआर का मामला सामने आया है, जिससे पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े हो गए हैं. यही नहीं जिन बाल कल्याण समितियों को देखरेख और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों के पुनर्वास का जिम्मा सौंपते हुए अधिकार दिए गए थे, उन्होंने अपने पॉवर का दुरुपयोग किया.दरअसल पिछले महीने 12 अक्टूबर को चूरू के महिला थाने में बाल कल्याण समिति झुंझुनूं ने एक नाबालिग बच्ची की ओर से कुछ लोगों के खिलाफ पोक्सो की धाराओं में मामला दर्ज करवाया था.
केस दर्ज करवाने के बाद बच्ची को जब उसकी मां बाल कल्याण समिति झुंझुनूं के पास लेने के लिए पहुंची तो करीब डेढ़ महीने तक उसे भटकाया गया. मां की अपील पर राजस्थान हाईकोर्ट जयपुर की डबल बैंच ने मामले की सुनवाई करते हुए बच्ची तुरंत सौंपने के आदेश दिए हैं. बच्ची ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. उसने बताया कि उससे खाली कागजों पर साइन करवाकर बाल कल्याण समिति की सदस्य शर्मिला पूनियां ने झूठी एफआईआर दर्ज करवाई है. साथ ही बाल कल्याण समिति झुंझुनूं और चूरू के कुछ ऐसे लोगों के नाम भी बताए हैं जिनके द्वारा लगातार झूठी एफआईआर दर्ज करवाने का दबाव इस बच्ची पर था.
खास बात यह है कि बच्ची के साथ छेड़छाड़ की घटना की सूचना परिजनों को देने की बजाय बाल कल्याण समिति ने पुलिस को दी और सीधा एफआईआर दर्ज करवा दी. बच्ची के साथ जो कथित घटना बताई गई है, वो भी ढाई से तीन साल पुरानी है लेकिन कल्याण समिति ने एफआईआर दर्ज करवाने में इतनी दिलचस्पी दिखाई कि छुट्टी के दिन चूरू से बीकानेर, बीकानेर से झुंझुनूं और झुंझुनूं से चूरू दौड़कर एफआईआर दर्ज करवाई. एफआईआर दर्ज करवाने के बाद बच्ची को डेढ़ महीने तक मां को भी सुपुर्द नहीं किया.
FIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 18:13 IST