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Bangladesh News: Bangladesh News: बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार भले ही देश में सबकुछ ठीक ठाक होने के लाख दावे कर रही हो लेकिन वहां हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की मौजूदा स्थिति किसी से छुपी नहीं है। जिसके चलते तारों के नीचे से हिन्दू भागकर…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- बांग्लादेश हिन्दू परिवार भाग कर त्रिपुरा पहुंच गया.
- रात पर जंगलों में चलने के बाद परिवार सुबह भारत पहुंचा.
- बीएसएफ ने सुबह उन्हें सीमा पार करने के बाद धर दबोचा.
नई दिल्ली. भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश के हिन्दुओं के हालातों से हर कोई वाकिफ है. अंतरिम सरकार के चीफ मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में लाख अच्छे हालात होने का दावा कर लें लेकिन पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट होने के बाद से वहां हिन्दुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की इस वक्त क्या स्थिति है, इस बात का खुलासा तो पड़ोसी देश से भाग कर भारत आ रहे लोग खुद ही कर रहे हैं. दो दिन पहले ही बीएसएफ ने एक बांग्लादेशी हिन्दू परिवार के नौ सदस्यों को त्रिपुरा में धर दबोचा. वो जंगलों के बीच तारों के नीचे से भारतीय सीमा में घुस आए. रात भर जंगल में चलने के बाद वो गुपचुप ऐसा करने में सफल रहे. BSF ने इन्हें पकड़ लिया. अब यह परिवार भारत सरकार से नागारिकता देने की गुहार लगा रहा है. इतनी बड़ी संख्या में पूरे परिवार को बॉर्डर पार कर आए देख एक बार को बीएसएफ टीम भी हिल गई.
फिलहाल इस परिवार के सभी सदस्यों को डिटेंशन सेंटर में डाल दिया गया है. इस परिवार का कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून 2019 के तहत उन्हें भारत का स्थायी नागरिक बनाया जाए. अगर वो वापस अपने देश लौटे तो उन्हें जान से मार दिया जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस अखबार की रिपोर्ट के अनुसार इस परिवार का कहना है कि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर बढ़ते अत्याचार के बीच उन्हें अपनी जान बचाकर भारत आने पर मजबूर होना पड़ा. पिछले साल पांच अगस्त को शेख हसीना के देश छोड़कर भागने के बाद बांग्लादेश में हिन्दू विरोधी आंदोलन शुरू हो गए थे.
‘मैं वापस नहीं जाऊंगा’
गिरफ्तार बांग्लादेशियों में से एक शंकर चंद्र सरकार ने कहा कि हम भारत आए हैं क्योंकि हम अत्याचारों के कारण अब बांग्लादेश में नहीं रह सकते. मैंने किशोरगंज जिले के धनपुर में एक ड्राइवर के रूप में काम किया. लोगों ने मुझ पर हमला करने की कोशिश की. हमारी महिलाएं वहां सुरक्षित नहीं हैं. मैं भारत से वापस नहीं जाऊंगा, भले ही मुझे जेल हो जाए.
कैसे पार किया अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर?
यह पूछे जाने पर कि उन्होंने सीमा कैसे पार की, उन्होंने कहा, हमें अंधेरे और जंगलों का सहारा लेना पड़ा और रात भर चलना पड़ा. हमने शुक्रवार को यात्रा शुरू की और शनिवार को त्रिपुरा पहुंचे. उन्होंने कहा कि वे कमालपुर से अंबासा रेलवे स्टेशन पहुंचे और असम के सिलचर के लिए ट्रेन पकड़ने की योजना बनाई थी. सरकार ने आगे कहा, हम वापस नहीं जाएंगे. हम किसी भी कीमत पर बांग्लादेश नहीं जाएंगे. यहां आने से पहले हमने जो कुछ भी बेच सकते थे, बेच दिया है. हमें वहां न्याय नहीं मिल सकता, हमारे साथ मारपीट की जाती है, हम बांग्लादेश में असुरक्षित हैं.
हजारों हिन्दू भागने का बना रहे प्लान…
उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके जैसे हजारों हिंदू बांग्लादेश में अस्थिरता के बीच भारत भागने की सोच रहे हैं, लेकिन कई कारणों से कई ऐसा करने का साहस नहीं जुटा पाए हैं. सरकार ने कहा, अपना घर और सामान छोड़कर दूसरे देश में आना कोई छोटी बात नहीं है. मेरे पिता भी जंगल से होकर आए थे. वह एक वरिष्ठ नागरिक हैं और उनकी मृत्यु हो सकती थी. इस बीच, सरकारी रेलवे पुलिस के अंबासा स्टेशन के प्रभारी पिंटू दास ने कहा कि समूह को जल्द ही स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा. एक सूत्र ने बताया कि हसीना सरकार के पतन के बाद से पिछले चार महीनों में त्रिपुरा के विभिन्न हिस्सों में 500 से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों और 63 रोहिंग्या लोगों को गिरफ्तार किया गया है.