कुल्लू: लाहौल घाटी को शीत मरुस्थल के तौर पर भी जाना जाता है. ऐसे में अब यहां के ग्रामीणों द्वारा घाटी को हरा भरा करने का प्रयास किया जा रहा है. इसकी शुरुआत गोशाल गांव के रहने वाले बीएस राणा ने की है. उन्होंने पंचायत प्रधानों और सभी ग्रामीणों के सहयोग से काम को अंजाम दिया है.
दरअसल, गोशाल गांव से ऊपर बिखरा हुआ एक प्राकृतिक कायल का जंगल मौजूद है. लेकिन इस जंगल के आसपास काफी भूमि बंजर पड़ी हुई है. ऐसे में ग्रामीणों के साथ मिल कर खाली पड़े स्थान पर कायल के बीजों को रोपा गया, जिससे यहां पर हरियाली हो सके.
घाटी में किया गया पेड़ लगाने का प्रयास
बीएस राणा ने बताया कि वह गोशाल गांव के रहने वाले हैं. अब वह वन विभाग से चीफ कंजरवेटर के तौर पर रिटायर हो चुके है. वह सेव लाहौल स्पीति संस्था के अध्यक्ष के तौर पर भी काम कर रहे है. लाहौल घाटी में पर्यावरण संरक्षण का काम कर रहे है, जिसके चलते उन्होंने अपने गांव को फिर हरा भरा बनाने के लिए शुरुआत की है. उन्होंने देहरादून से कायल का ढाई किलो बीज मंगवाया था, जिसे ग्रामीणों की मदद से बोया गया.
घाटी को हराभरा करने के लिए ग्रामीणों में दिखाया जोश
ग्रामीणों में अब नया उत्साह है. अब आसपास के गांव के लोग अपने क्षेत्रों में कायल के पेड़ लगाने के लिए आग्रह करने लगे है. इसके चलते अब उनके द्वारा 5 किलो और बीज मंगवाया गया है. अगले हफ्ते इस बीज को भी लाहौल घाटी के अलग अलग इलाकों में बोया जाएगा.
घाटी में रहने वाले रिटायर्ड अधिकारी रहेंगे इन वृक्षों का ध्यान
लाहौल घाटी में रहने वाले कई रिटायर्ड अधिकारियों ने भी इस पहल की सराहना की है. ऐसे में यहां रहने वाले ग्रामीणों ने इन बीजों का ख्याल रखने और इनकी ग्रोथ पर भी रिपोर्ट तैयार करने के लिए अपना सहयोग देने का आग्रह किया है. सभी ग्रामीणों को उम्मीद है कि सबके प्रयास से लगाए गए बीज जल्द बड़े पेड़ों में तब्दील होंगे. ऐसे में एक बार फिर घाटी में हरियाली दिखाई देगी.
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FIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 18:32 IST