शरद पवार को महाराष्ट्र की राजनीति का ‘चाणक्य’ कहा जाता है, लेकिन वे ऐसे नेता रहे हैं, जो चाहें सत्ता पक्ष में हो या विपक्ष में, उनकी ताकत कम नहीं होती. मौजूदा वक्त में वे कांग्रेस के साथ खड़े हैं, लेकिन शनिवार को उन्होंने जो बयान दिया, वह कांग्रेस को खटक सकता है. कभी सोनिया गांधी का दामन छिटकने वाले शरद पवार अब उनके बेटे राहुल गांधी के सपनों पर पलीता लगाते दिख रहे हैं. जब ममता बनर्जी ने इंडिया अलायंस की कमान संभालने की बात कही, तो शरद पवार भी अन्य नेताओं के साथ उनके पक्ष में खड़े हो गए. यहां तक कह डाला कि ममता बनर्जी के पास नेतृत्व करने की क्षमता है.
बात 1998 की है. शरद पवार कांग्रेस का हिस्सा हुआ करते थे. लेकिन जब सोनिया गांधी ने पार्टी की कमान संभाली तो शरद पवार को उनसे रिश्ता तोड़ने में एक पल नहीं लगा. शरद पवार ने पीए संगमा और तारिक अनवर जैसे सीनियर लीडर्स के साथ मिलकर सोनिया गांधी के विदेशी मूल का मुद्दा उछाल दिया और कांग्रेस को बाय बाय बोल दिया. तभी उन्होंने एनसीपी बनाई. लेकिन फिर जब 1999 में विधानसभा चुनाव में अकेले दम पर जीत नहीं पाए तो कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली. तब से अब तक कभी नजदीकी तो कभी दूरी बनी रही. इस बार महाराष्ट्र चुनाव भी कांग्रेस और एनसीपी ने साथ मिलकर लड़ा. लेकिन अब शरद पवार के सुर एक बार फिर बदलते दिख रहे हैं.
राहुल गांधी किसी को मंजूर नहीं!
न्यूज18इंडिया के साथ बातचीत में ममता बनर्जी ने इंडिया अलायंस को फेल बताते हुए कहा कि अगर उन्हें इंडिया अलायंस की कमान दी जाती है तो वो नेतृत्व करने के लिए तैयार हैं. इस पर सपा, सीपीआई समेत कई दल ममता के पक्ष में आकर खड़े हो गए. सपा के रामगोपाल यादव ने तो यहां तक कह डाला कि राहुल गांधी कभी इंडिया गठबंधन के नेता नहीं रहे. चाहे लोकसभा या विधानसभा का चुनाव हो, कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है. हर जगह उनकी पार्टी हार रही है. यहां तक कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने भी कहा, ममता बनर्जी भारत की सबसे बड़ी नेताओं में से एक हैं. अगर वे अधिक जिम्मेदारी लेना चाहें तो हम उनके साथ हैं. अब शरद पवार ने खुद बयान दिया है.
शरद पवार ने क्या कहा?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बयान पर शरद पवार ने कहा, हां, निश्चित रूप से ममता बनर्जी के पास इंडिया अलायंस का नेतृत्व करने की क्षमता है. वह देश की प्रभावी नेता हैं. उनमें वह क्षमता है. संसद में उनके द्वारा चुने गए नेता जिम्मेदार, कर्तव्यनिष्ठ और जागरूक लोग हैं. इसलिए उन्हें ऐसा कहने का अधिकार है. शरद पवार के इस बयान के मायने निकाले जा रहे हैं. राजनीति के जानकारों को लगता है कि शरद पवार ने राहुल गांधी को कभी अपना नेता नहीं माना. वे नहीं चाहेंगे कि कभी राहुल गांधी के नेतृत्व में उन्हें चुनाव लड़ना पड़े. कांग्रेस से उनका रिश्ता यूं ही चलता है. ममता बनर्जी उनके बराबर की नेता हैं और उनके साथ सौदेबाजी करना, बातचीत करना शरद पवार के लिए आसान होगा.
Tags: INDIA Alliance, Mamata banerjee, Rahul gandhi, Sharad pawar, Sonia Gandhi
FIRST PUBLISHED : December 7, 2024, 23:42 IST