शिमला. हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में संजौली मस्जिद विवाद को लेकर नगर निगम आयुक्त कोर्ट के फैसले को बाद कुछ लोग नफरत फैलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं. कुछ संगठन लगातार इस कोशिश में लगे हैं कि किसी तरह से आग को फिर से भड़काया जाए. इस सब के बीच व़क्फ बोर्ड ने नफरत फैलाने की कोशिशों पर लगाम लगा दी है. समाज के अलग-अलग संगठनों की ओर से कई तरह की बातें फैलाकर माहौल खराब करने की कोशिशों पर भी फिलहाल विराम लगा दिया है. हालांकि, पूरे मामले पर दोफाड़ हो गया है.
दरअसल, व़क्फ बोर्ड ने साफ कर दिया है कि बोर्ड आयुक्त कोर्ट के फैसले को चुनौती नहीं देगा और अदालत के फैसले की पालना होगी और अवैध निर्माण गिराया जाएगा. अवैध निर्माण को गिराने के लिए व़क्फ बोर्ड ने मस्जिद कमेटी को अधिकृत किया है और बोर्ड की ही निगरानी में अवैध निर्माण गिराया जाएगा. इसकी पुष्टि हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड के इस्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन मान ने की है. वहीं, दूसरी ओर संजौली मस्जिद कमेटी ने अवैध निर्माण को गिराने के लिए फंड जुटाना शुरू कर दिया है. इसमें लाखों का खर्च आएगा.
आयुक्त कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले बयानों को संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने राजनीति से प्रेरित बताया. लतीफ ने कहा कि कुछ लोग अपनी राजनीती चमकाने के लिए इस तरह की बातें कह रहे हैं जबकि वो ये सब कहने के लिए अधिकृत नहीं हैं, व़क्फ बोर्ड ने न तो उन्हें अधिकृत किया है और न ही वो इस मामले में कोई दखल दे सकते हैं.
दूसरा पक्ष आया था सामने और कहा था कोर्ट जाएंगे
दरअसल. इस मामले पर 9 अक्तूबर की शाम को शिमला की बालूगंज स्थित मस्जिद में ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन नाम की एक संस्था ने एक बैठक की थी, बैठक के बाद आयुक्त कोर्ट के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही थी. इसके बाद कुछ हिंदू संगठनों से जुड़े कुछ नेताओं ने इस पर सवाल खड़े किए थे और सोशल मीडिया पर कई तरह की नफरती पोस्ट भी देखने को मिली थी. शाम के समय देवभूमि संघर्ष समिति के सदस्य सब्जीवालों को सनातनी लिखा हुआ पोस्टर बांटते हुए नजर आए थे. ऑल हिमाचल मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन की ओर से बीते कल यानी गुरुवार को मोहम्मद अफजल और मुमताज़ अहमद क़ासमी ने आयुक्त कोर्ट के फैसले पर कई सवाल उठाए थे और इस पर कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही थी.
पूर्व इमाम ने कही कोर्ट जाने की बात
इस पर हिमाचल प्रदेश वक्फ बोर्ड के इस्टेट ऑफिसर कुतुबुद्दीन मान ने कहा कि बोर्ड की ओर से 24 सितंबर 2024 को एक सर्कूलर जारी कर कहा गया था कि किसी भी मस्जिद में नमाज के अलावा और कोई गतिविधि नहीं हो सकती है. कोई धार्मिक आयोजन भी करवाना है तो इसके लिए बोर्ड की एनओसी लेना अनिवार्य है. बालूगंज मस्जिद में बिना बोर्ड की अनुमति के बैठक करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया है. मान ने कहा कि अदालत के फैसले की हर हाल में पालना होगी, कानून से बड़ा कोई नहीं है, प्रदेश में शांति बनी रहनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस पूर्व इमाम ने इस तरह की बयानबाजी की है वो सेवानिवृत है और अभी भी बोर्ड की ओर दिया गया आवास नहीं छोड़ा है. उस मामले पर भी कानूनी कार्रवाई चल रही है, जहां तक उस संगठन की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही गई है तो वो उनकी निजी राय हो सकती है, जबकि इस केस में वो पार्टी नहीं है, ऐसे में जो पार्टी नहीं है उसकी कोई भी बात मायने नहीं रखती है.
संगठन ने अनाधिकृत बैठक और बयानबाजी की
संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ ने News 18 से बातचीत में कहा कि जिस संगठन ने अनाधिकृत बैठक और बयानबाजी की है, वो पहले तो बोर्ड की ओर से इसके लिए अधिकृत नहीं है. दूसरा ये है कि जो सेवानिवृत हो गए हैं वो राजनीति चमकाने के लिए ऐसा कह रहे हैं. वो हीरो बनने की कोशिश कर रहे हैं. प्रशासन को इस पर संज्ञान लेना चाहिए और बयानबाजी करने वालों पर कड़ी कार्रवाई अमल में लानी चाहिए. लतीफ ने कहा कि अवैध निर्माण को लेकर कमिश्नर के पास अर्जी देने से लेकर गिराने तक के मस्जिद कमेटी के फैसले से पहले व़क्फ बोर्ड से अनुमति ली गई है. उन्होंने कहा कि अवैध निर्माण गिराने के लिए लाखों का खर्च आएगा. मस्जिद बनाने के लिए पैसा देने वाले बहुत होते हैं लेकिन गिराने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है. उन्होंने कहा कि इसके निर्माण में अधिकतर पैसा लदानियों और यहां नमाज पढ़ने आने वाले लोगों ने दिया था. अब इसको गिराने के लिए जो फंड देना चाहे वो दे सकता है. आयुक्त कोर्ट के फैसले की लिखित ऑर्डर मिलते ही अवैध निर्माण गिराने की प्रकिया शुरू की जाएगी.
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FIRST PUBLISHED : October 11, 2024, 13:40 IST