मुंबई. भारत के चीफ जस्टिस (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि समाज के प्रति उनकी करुणा की भावना ने ही एक जज के रूप में उन्हें निरंतरता प्रदान की, खासकर मामलों की पड़ताल जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘पड़ताल का तत्व हमारे काम में शामिल है. इससे कोई भी चीज छूटती नहीं है. पड़ताल का यह तत्व हमारी कोर्ट के काम को निर्देशित करता है, लेकिन जज के रूप में हमें बनाए रखने वाली चीज उस समाज के प्रति हमारी करुणा की भावना है, जिसके लिए हम न्याय करते हैं.’
भारत के चीफ जस्टिस (CJI) डी. वाई. चंद्रचूड़ 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं. उन्हें बम्बई हाईकोर्ट में मुंबई के वकीलों के संघों द्वारा सम्मानित किया गया. उन्होंने एक ऐसे मामले का उल्लेख किया, जिसमें उस दलित छात्र को राहत दी गई थी, जो समय पर आईआईटी धनबाद में प्रवेश शुल्क का भुगतान नहीं कर सका था. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ‘लड़का हाशिये पर रहने वाले परिवार से था, वह 17,500 रुपये की प्रवेश फीस भी नहीं दे सका था. अगर हमने उसे राहत नहीं दी होती तो उसे कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलता. यही वह चीज है जिसने मुझे इतने सालों तक जज के रूप में बनाए रखा है.’
सीजेआई ने जोर देकर कहा कि ‘आप किसी नागरिक को राहत न देने के लिए तकनीकी प्रकृति के 25 कारण ढूंढ सकते हैं, लेकिन मेरे हिसाब से राहत देने के लिए एक ही औचित्य काफी है.’ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत होने से पहले एक दशक से अधिक समय तक बम्बई हाईकोर्ट के जज के रूप में काम किया था.
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उन्होंने कहा कि बम्बई हाईकोर्ट के जैसा कुछ भी नहीं है. उन्होंने कहा कि ‘बम्बई उच्च न्यायालय जैसा कुछ नहीं है. आपातकाल के समय में भी जब हर कोई अपना जमीर खो रहा था, बम्बई हाईकोर्ट के जज न्याय के मुद्दे से विचलित नहीं हुए.’ सीजेआई ने कहा कि जब उन्होंने जज का पद संभाला तो वह ‘शुरू में बहुत परेशान’ थे.
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FIRST PUBLISHED : October 25, 2024, 23:33 IST