सहरसा: बिहार के ग्रामीण स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्था की क्या हालत है यह किसी से छुपी नहीं है. अधिकांश ग्रामीण स्तर पर बनाए गए अस्पताल की हालत या तो खराब रहती है या अस्पताल बंद रहता है. सहरसा से एक ऐसी ही तस्वीर निकलकर सामने आई है, जहां लगभग 75 लाख की लागत से उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन तो बना दिया गया और अस्पताल का उद्घाटन भी कर दिया गया, लेकिन अस्पताल खुल जाने से ना तो इलाके के लोगों को इसकी सुविधा मिली और ना ही इस अस्पताल में लोगों का इलाज हो सका.
लोग अभी भी इलाज कराने के लिए जिला मुख्यालय की ओर भागते हैं, जबकि इस अस्पताल में एएनएम और डॉक्टर की नियुक्ति की गई है. इसके बावजूद भी इस अस्पताल में ताला लटका रहता है, जिससे ग्रामीणों में नाराजगी है. सबसे बड़ी बात यह है कि अस्पताल चालू हो इसके लिए कई बार स्थानीय लोगों ने आंदोलन किया गया, ताकि अस्पताल खुल सके और स्वास्थ्य सुविधाएं लोगों को मिल सके. लेकिन अब अस्पताल तो खुल गया है, लेकिन लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही है. यह तस्वीर सहरसा जिले के सौर बाजार प्रखंड अंतर्गत खजूरी पंचायत की है.
लोगों को नहीं मिल रहा अस्पताल का लाभ
खजूरी पंचायत के स्थानीय विक्रम यादव ने बताया कि इस उप स्वास्थ्य केंद्र के लिए कोरोना काल के दौरान आवाज उठाई गई थी, जिसके बाद इस अस्पताल का निर्माण हुआ तब जाकर उम्मीद जगी कि अब इस अस्पताल में लोगों का इलाज होगा. इस उप स्वास्थ्य केंद्र को चमका दिया गया और तीन मंजिला इमारत बन गई. इतना ही नहीं अस्पताल का उद्घाटन भी हो गया, लेकिन इसका लाभ लोगों को अभी तक नहीं मिल सका है. यहां लगभग 15000 की आबादी है फिर भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है.
अस्पताल में लटका रहता ताला
उन्होंने बताया कि इस अस्पताल में ना तो डॉक्टर साहब मौजूद रहते हैं और ना ही अस्पताल के कोई कर्मी नजर आते हैं. हमेशा इस अस्पताल में ताला लटका रहता है मुझे तो शक है कि पैसा का बंदरबाट किया जा रहा है और सरकार के पैसे का दुरुपयोग हो रहा है.
FIRST PUBLISHED : December 26, 2024, 13:07 IST