निशा राठौड़/ उदयपुर: राजस्थान के प्रसिद्ध सांवलिया सेठ धाम का हर कोना भक्ति और आस्था से ओत-प्रोत है. यहां हर महीने करोड़ों रुपए का चढ़ावा आता है और देशभर से लाखों श्रद्धालु भगवान सांवलिया सेठ के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यहां तीन मूर्तियों के प्राकट्य की एक अद्भुत कथा भी जुड़ी हुई है?
मीरा बाई और सांवलिया सेठ का संबंध
किंवदंतियों के अनुसार, भगवान सांवलिया सेठ को महान संत मीरा बाई के गिरधर गोपाल के रूप में पूजा जाता है. मुगल शासक औरंगजेब के काल में मंदिरों को तोड़े जाने के डर से संत दयाराम ने इन मूर्तियों को बागुंड-भादसोड़ा के छापर में एक वटवृक्ष के नीचे छिपा दिया था. संत दयाराम के निधन के बाद ये मूर्तियां कई वर्षों तक वहीं दबी रहीं.
मूर्तियों का प्राकट्य और मंदिर का निर्माण
1840 में मंडफिया गांव के ग्वाले भोलाराम गुर्जर को स्वप्न में चार मूर्तियां दबे होने का संकेत मिला. खुदाई के दौरान चारों मूर्तियां निकलीं, जो अत्यंत सुंदर और अद्वितीय थीं.
– इन मूर्तियों की कहानी इस प्रकार है:
1. प्राचीन मंदिर मूर्ति: सबसे बड़ी मूर्ति को भादसोड़ा ले जाया गया, जहां मेवाड़ राजघराने ने संत पुराजी भगत के निर्देशन में मंदिर बनवाया.
2. प्राकट्य स्थल मूर्ति: दूसरी मूर्ति को प्राकट्य स्थल पर ही स्थापित किया गया.
3. मंडफिया मूर्ति: तीसरी मूर्ति को भोलाराम गुर्जर ने अपने घर में स्थापित किया.
4. खंडित मूर्ति: चौथी मूर्ति खुदाई के दौरान खंडित हो गई और इसे उसी स्थान पर वापस दबा दिया गया.
तीनों स्थानों पर बने भव्य मंदिर
वर्तमान में तीनों मूर्तियों के लिए भव्य मंदिर बनाए गए हैं और यह क्षेत्र सांवलिया सेठ धाम के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है.
– सांवलिया सेठ को व्यापारियों के संरक्षक देवता के रूप में भी पूजा जाता है.
– श्रद्धालुओं का विश्वास है कि भगवान को व्यापार में साझेदार बनाने से व्यवसाय में उन्नति होती है.
सांवलिया सेठ की ख्याति
सांवलिया सेठ धाम आज न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि भक्ति, इतिहास और व्यापार का अनोखा संगम भी प्रस्तुत करता है. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और भगवान को धन-धान्य का स्वामी मानते हुए उन्हें अर्पण करते हैं. इस पवित्र धाम की महिमा समय के साथ और बढ़ती जा रही है, और यह स्थान लाखों भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है .
Tags: Local18, Rajasthan news, Udaipur news
FIRST PUBLISHED : November 23, 2024, 10:44 IST