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साली को धोखा या बचाई जान? कौन है शेख हसीना का वह ‘जीजा’, जिसने बांग्लादेश छोड़ने के लिए ‘मनाया’

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नई दिल्ली: वक्त सबसे बड़ा बलवान होता है. शेख हसीना से बेहतर यह कौन समझ सकता है. कुछ समय पहले तक बांग्लादेश में शेख हसीना की तूती बोलती थी, आज उन्हें दर-दर की ठोकर खानी पड़ रही है. वह दुनिया से शरण मांगती फिर रही हैं, मगर कोई उन्हें शरण देने को तैयार नहीं हो रहा है. बांग्लादेश में प्रदर्शन की ऐसी आंधी आई कि शेख हसीना की कुर्सी उड़ गई. उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा. फिलहाल, शेख हसीना भारत के हिंडन एयरबेस के सेफ हाउस में हैं. मगर अब सवाल है कि आखिर शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर क्यों होना पड़ा, क्या सच में बांग्लादेश में उनकी जान को खतरा था? क्या उनके जीजा ने उन्हें धोखा दिया या फिर उनकी जान बचाई?

सबसे पहले समझते हैं कि आखिर शेख हसीना का जीजा कौन है. बांग्लादेश में अभी जो मौजूदा आर्मी चीफ हैं, वह रिश्ते में शेख हसीना के जीजा लगते हैं. आर्मी चीफ वाकर-उज-जमान बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की चचेरी बहन के हस्बैंड हैं. दरअसल, आर्मी चीफ वाकर-उज-जमान के ससुर जनरल मुस्तफिजुर रहमान 24 दिसंबर 1997 से 23 दिसंबर 2000 तक बांग्लादेश सेना के सेनाध्यक्ष रहे. मुस्तफिजुर रहमान शेख हसीना के चाचा थे. वाकर की पत्नी हसीना की चचेरी बहन हैं.

शेख हसीना और आर्मी चीफ में क्या रिलेशन
अब बात करते हैं कि जीजा वाकर-उज-जमान ने साली शेख हसीना को धोखा दिया या असल में प्रदर्शनकारियों से जान बचाई. इसे समझने के लिए 5 अगस्त के घटनाक्रम पर को समझना होगा. 4 अगस्त को बांग्लादेश में प्रदर्शन के दौरान खूब कत्लेआम हुआ. करीब 100 लोगों की मौत हो गई. शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन उग्र हो गया. अब पानी गले तक आ चुका था. 5 अगस्त से शेख हसीना ने पूरे देश में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया. इंटरनेट सेवा बंद कर दी. प्रदर्शन को कुचलने के लिए हर संभव कोशिश की, मगर प्रदर्शनकारी मानने को तैयार नहीं थे. शेख हसीना ने सेना और पुलिस को पूरी छूट दे दी. जो करना है करो बस प्रदर्शन खत्म हो जाए. मगर पानी सिर के ऊपर जा चुका था.

अचानक क्यों हसीना के घर पहुंचे थे आर्मी चीफ
5 अगस्त की सुबह-सुबह शेख हसीना के घर हलचल बढ़ गई. सभी सेनाओं के प्रमुख शेख हसीना के घर पर पहुंचे. इस दौरान शेख हसीना की बहन भी मौजूद थीं. आर्मी चीफ वाकर-उज-जमान और अन्य सेनाओं के चीफ ने शेख हसीना को इस्तीफा देने के लिए राजी करना शुरू किया. सेना प्रमुखों को यकीन हो गया था कि प्रदर्शन को रोकना अब संभव नहीं है. नरसंहार ही एक मात्र विकल्प है. मगर सेना के सभी चीफ इसके पक्ष में नहीं थे. आर्मी चीफ वाकर-उज-जमान समेत अन्य विंग के चीफ ने शेख हसीना को इस्तीफा देने और देश छोड़ने को मना रहे थे. मगर हसीना अपनी जिद पर अड़ी रहीं.

आर्मी चीफ ने शेख हसीना को कैसे मनाया?
शेख हसीना को उनकी बहन ने भी अकेले में 20 मिनट तक समझाया. फिर भी शेख हसीना इस्तीफा देने और देश छोड़ने के लिए तैयार नहीं थीं. आर्मी चीफ वाकर-उज-जमान को डर था कि प्रदर्शनकारी शेख हसीना की हत्या भी कर सकते हैं. किसी तरह वह चाहते थे कि शेख हसीना इस्तीफा दे दें. मगर हसीना मानने को तैयार नहीं थीं. इसके बाद आर्मी चीफ ने उसी वक्त हसीना के वर्जीनिया में रहने वाले बेटे सजीव वजेद को फोन किया और मां को समझाने के लिए कहा. समझाने के बाद आर्मी चीफ वाकर ने फोन हसीना को थमा दिया. जब हसीना ने अपने बेटे से बात की तब जाकर वह इस्तीफा देने और देश छोड़ने के लिए तैयार हुईं.

Tags: Bangladesh, Bangladesh news, Sheikh hasina



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