हजारीबाग. हमारे आसपास कई पंछी प्रजाति अक्सर दिखते हैं. झारखंड का हजारीबाग जिला भी पंछियों के लिए पूरे देश भर में जाना जाता है. जिले के वन जीव आश्रयणी को इंपॉर्टेंट बर्ड एरिया घोषित किया गया है. यहां सालों भर ढेरों खूबसूरत पंछी दिखाई देते हैं. पंछियों की दुनिया में बेहद रोचक होती है. इनके जीवन जीने की कला और हाव-भाव भी काफी अलग होता है.
हजारीबाग में सैकड़ो पंछी पाए जाते हैं. उन्हीं में एक है पक्षी है धनेश. धनेश पंक्षी की बनावट भी बेहद आकर्षक होता है. धनेश एक ऐसा पंछी है, जिसके दो चोंच होते हैं. यह चोंच इसकी खूबसूरती का राज भी है. आमतौर पर ये पंछी जंगलों में निवास करता है. कभी कभार ही जंगलों से निकलकर शहरी इलाकों में आता है, जिस कारण से इसका दिखाना भी काफी शुभ माना जाता है. ज्योतिषों का भी मानना है कि धनेश दिखने पर माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती है.
हजारीबाग के पर्यावरणविद् और पंछियों पर काम करने वाले मुरारी सिंह बताते हैं कि धनेश पक्षियों में एक अनूठा पंछी है. इसके दो चोंच में इसके चोंच में एक चोंच काम का होता है और एक दिखावे का होता है .नीचे वाले चोंच से वह खाना खाता है. ऊपर का चोंच उसकी सुंदरता को निखारता है.
उन्होंने आगे बताया कि आमतौर पर पंछी, जहां रहते हैं. वहां काफी गंदगी भी फैलाते है. अपना पूप पेड़ के नीचे या घोसला ही छोड़ देते हैं. धनेश अपना घोंसला गंदा नहीं करता है. महिला धनेश घोंसला बनाती है और अंडा देती है. पुरुष धनेश उसे घोसले में सूखा हुआ पेड़ का छाल जमा करता है. जब धनेश अंडा देती है और बच्चा बड़ा होता है और वह गंदा करता है, तो पुरुष धनेश गंदगी को घोंसला से सूखा हुआ पेड़ का छाल हटा देता है. कहा जाए तो एक तरह से पुरुष धनेश डायपर का काम करता है. यही कारण है कि इस साफ सफाई पसंद करने वाला पंछी कहा जाता है.
उन्होंने आगे बताया कि यह अपना घोंसला सुरक्षित और ऐसे दूर दराज के इलाके में बनाते है, जहां साफ सफाई रहता है. यह पंछी हजारीबाग की कई इलाकों में पाया जाता है. हजारीबाग में जो पंछी धनेश दिख है वह ग्रे रंग का है .वही एक और प्रजाति है जिसकी चर्चा पुस्तकों में मिलती है वह रंगीन होता है. यह पंछी साफ सफाई बेहद पसंद करता है.
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FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 16:11 IST