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हरियाणा में क्यों BJP के हाथ से गई सत्ता? कैसे लोकसभा चुनाव वाली गलती पड़ी भारी, समझिये कहानी

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Haryana Assembly election 2024 Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव के शुरुआती रुझान में कांग्रेस को बहुमत मिलती दिख रही है. 90 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस 55 सीटों पर आगे है तो बीजेपी 23 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. शुरुआती रुझानों में कांग्रेस की सरकार बनती नजर आ रही है और ऐसा लग रहा है कि बीजेपी जीत की हैट्रिक नहीं लगा पाएगी.  एग्जिट पोल में भी बीजेपी के खिलाफ माहौल था और अनुमान लगाया गया था कि कांग्रेस सरकार बनाएगी. ट्रेंड भी वैसे ही नजर आ रहे हैं.

एंटी इनकंबेंसी 
हरियाणा के सियासी इतिहास पर नजर डालें तो यहां तीसरी बार वही पार्टी सत्ता में आई है, जिसका कोई नेता राज्य में खुद को ममता बनर्जी या नवीन पटनायक की तरह स्थापित कर लिया है. हाल के दिनों मे हरियाणा बीजेपी में अंदरूनी खींचतान की तमाम खबरें आईं. मनोहर लाल खट्टर को उनका कार्यकाल खत्म होने से पहले ही पार्टी ने हटा दिया और उनकी जगह नायब सिंह सैनी को सीएम बनाया. अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि नायब सिंह सैनी के नाम पर भी पार्टी के तमाम नेता खुश नहीं थे. इसका असर चुनाव पर पड़ा. नाराज नेताओं ने चुनाव में वैसी मेहनत नहीं की जैसी अपेक्षा थी.

बेरोजगारी
बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के दूसरी सबसे बड़ी वजह बेरोजगारी है. साल 2021-22 में हरियाणा की बेरोजगारी दर 9% थी जो राष्ट्रीय औसत (4.1%) से भी दोगुनी थी. बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में दो लाख नौकरियां देने का वादा किया था लेकिन उसे पूरा नहीं कर पाई. हरियाणा ऐसा राज्य है जहां के नौजवान सेना में बढ़ चढ़कर जाते हैं, लेकिन अग्निपथ स्कीम आने के बाद नौजवान बेहद नाराज थे और विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे को हवा भी दी. यह भी बीजेपी पर भारी पड़ा.

ग्रामीण और शहरी वोटर्स की नाराजगी
हरियाणा की राजनीति को करीब से समझने वाले कहते हैं कि इस बार ग्रामीण और शहरी दोनों तरह के वोटर्स बीजेपी से खासे थे. ग्रामीण इलाकों में पहलवानों का मुद्दा काम आया तो शहरी वोटर्स करप्शन जैसे मामले को लेकर बीजेपी से छिटक गए. इसका असर वोटिंग परसेंटेज पर भी दिखा.

ग्रामीण इलाकों में बीजेपी को सबसे ज्यादा नाराजगी किसानों की झेलनी पड़ी. 24 फसलों पर एमएसपी देने की घोषणा की थी, लेकिन ज्यादातर किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पाया. सरकारी रेट पर फसलें खरीदी भी नहीं गईं. इसके अलावा पहले से किसान आंदोलन के चलते कुछ किसानों में नाराजगी थी और उन्होंने एक तरीके से बीजेपी से किनारा करना बेहतर समझा.

भ्रष्टाचार भी भारी पड़ा
बीजेपी के सत्ता से बाहर होने के पीछे एक और बड़ी वजह भ्रष्टाचार है. मनोहर लाल खट्टर जब मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने ई गवर्नेंस के जरिए चीजों को सुधारने का दावा किया. हालांकि ग्रामीण इलाकों में लोगों को फायदा नहीं मिला. उल्टा भ्रष्टाचार की चक्की में पिसते रहे. छोटे-छोटे काम के बदले घूस देना पड़ा और इसको लेकर काफी नाराजगी भी थी.

2024 से सीख ली होती तो…

दलित चेहरे की कमी
बीजेपी को सबसे ज्यादा नुकसान दलित चेहरे के न होने से हुआ. हरियाणा में 17 सीटें दलितों के लिए आरक्षित हैं, जबकि 35 के आसपास ऐसी सीटें हैं जिस पर दलित वोटर्स का दबदबा है. बीजेपी के पास कोई ऐसा बड़ा दलित चेहरा ही नहीं था जो इन मतदाताओं को पार्टी से जोड़ सके. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के हरियाणा में पिछड़ने की सबसे बड़ी वजह दलित और अति पिछड़ा वोट बैंक खिसकना ही था. दूसरी तरफ कांग्रेस के पास कुमारी शैलजा जैसे कद्दावर दलित नेता तो थे ही. ऐन मौक पर अशोक तंवर जैसे नेता को भी बीजेपी से तोड़ लिया और उसे इसका फायदा मिला.

Tags: CM Manohar Lal, Haryana BJP, Haryana Election, Haryana election 2024



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