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हाईकोर्ट बोला- आप राहत के हकदार नहीं, मां-बाप की लड़ाई में झुलसती रही बच्‍ची

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मुंबई. बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने माना है कि किसी बच्चे को उसकी मां से न मिलने देना IPC के तहत क्रूरता के बराबर है. कोर्ट ने जालना की रहने वाली एक महिला के ससुराल वालों के खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया. जस्टिस विभा कंकनवाड़ी और जस्टिस रोहित जोशी की पीठ ने फैसले में कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश के बावजूद महिला को उनकी चार साल की बेटी को उससे दूर रखा जा रहा है. कोर्ट ने कहा, ‘चार साल की छोटी बच्ची को उसकी मां से दूर रखना भी मानसिक उत्पीड़न के बराबर है. यह क्रूरता के समान है, क्योंकि इससे निश्चित रूप से मां के मेंटल हेल्‍थ को गंभीर नुकसान पहुंचेगा.’

हाईकोर्ट ने कहा कि ससुराल वालों का ऐसा व्यवहार भारतीय सेक्‍शन 498 A के तहत बताए गए क्रूरता के समान है. पीठ ने कहा कि मानसिक उत्पीड़न दिन-प्रतिदिन आज तक जारी है. यह एक गलत काम है. इसमें कहा गया है कि यह प्राथमिकी रद्द नहीं की जाएगी, क्योंकि यह अदालत के हस्तक्षेप के लिए उपयुक्त मामला नहीं है. महिला के ससुर, सास और ननद ने कथित क्रूरता, उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के लिए महाराष्ट्र के जालना जिले में उनके खिलाफ साल 2022 में मामला दर्ज कराया गया था. बचाव पक्ष ने मामले को रद्द करने की मांग की थी.

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ससुरालवालों पर गंभीर आरोप
शिकायतकर्ता के अनुसार, उसकी शादी 2019 में हुई और 2020 में उसकी एक बेटी हुई. पति और उसके परिवार के सदस्यों ने उसके माता-पिता से पैसे मांगना शुरू कर दिया और उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया और उसके साथ गाली गलौज की. मई 2022 में महिला को कथित तौर पर उसके ससुरालवालों ने घर से निकाल दिया और उसे अपनी बेटी को अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं दी गई. इसके बाद उसने अपनी बेटी की कस्टडी के लिए मजिस्ट्रेट अदालत में आवेदन दायर किया था.

ट्रायल कोर्ट का आदेश न मानने का आरोप
महिला ने हाईकोर्ट को बताया कि मजिस्ट्रेट अदालत ने 2023 में पति को बच्चे की कस्टडी मां को सौंपने का आदेश दिया, लेकिन आदेश का पालन नहीं किया गया और बच्चा पति के पास ही रहा. हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि हालांकि बच्चा पति के पास था, लेकिन आवेदक (ससुराल वाले) उसके ठिकाने की जानकारी छिपा कर उसकी मदद कर रहे थे. कोर्ट ने टिप्पणी की कि जो लोग न्यायिक आदेशों का सम्मान नहीं करते, वे राहत के हकदार नहीं हैं. तीनों ने अपनी याचिका में क्रूरता और उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि उन्हें झूठे मामले में फंसाया गया है.

Tags: Bombay high court, Maharashtra News



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