नई दिल्ली. राजनीति का मिजाज भी बड़ा अजीब होता है. जब सत्ता हाथ में रहती है तो पार्टी और नेताओं के लिए जयकारा लगाने वालों की भीड़ भगाने से भी नहीं भागती है. लेकिन राजनीति में जब वक्त बुरा शुरू हो जाता है तो जयकारा लगाने वाले लोग बुलाने पर भी नहीं आते हैं. देश की राजनीति में भी अभी कांग्रेस के साथ ऐसा ही हो रहा है. बीजेपी ने बीते 10-12 सालों में कांग्रेस का हाल इतनी पतला कर दिया है कि छोटी-छोटी राजनीतिक पार्टियों ने भी कांग्रेस को आंखें दिखाना शुरू कर दिया है. खासकर, समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां अब कांग्रेस से बराबर का सौदा करना चाहती हैं. अगर कांग्रेस जरा भी आना-काना करती है तो फिर उसको उसके हाल पर ही छोड़ देते हैं.
आपको बता दें कि साल 2014 में कांग्रेस की केंद्र से सत्ता जाते ही सबसे पहले राहुल गांधी के युवा ब्रिगेड के नेताओं ने पार्टी छोड़ना शुरू कर दिया. जतिन प्रसाद, आरसीपी सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया, ज्योति मिर्धा, सुष्मिता देव, मिलिंद देवड़ा और प्रियंका चतुर्वेदी जैसे अनेकों नाम हैं, जिन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया. यूपीए फर्स्ट और टू में इन नेताओं की तूती बोलती थी. कहा तो ये तक जाता है कि ये सारे नेता टीम राहुल के कोर सदस्य थे. लेकिन कांग्रेस की लगातार हो रही हार से घबराकर ये सारे नेता अपना भविष्य तलाशने दूसरी पार्टियों में पहुंच गए.
राहुल की चमक से मुंह मोड़ने लगे सहयोगी
कांग्रेस से हर वर्ग के नेताओं ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया. जो बचे थे वो भी धीरे-धीरे साथ छोड़ते चले गए. बीच-बीच में कांग्रेस को कुछ राज्यों में जीत के तौर पर एनर्जी ड्रिंक मिलता रहा. लेकिन ये एनर्जी ड्रिंक भी ज्यादा दिनों तक किसी नेता को पार्टी में जोड़कर नहीं रख सका. हालांकि, कांग्रेस ने सहयोगियों को साधकर देश के कुछ राज्यों में अपनी स्थिति काफी हद तक मजबूत की. लेकिन कांग्रेस पार्टी की एकला चलो और सहगयोगी पार्टियों को तवज्जो नहीं देने पर भी इंडिया गठबंधन के नेताओं में अब असंतोष का दौर फिर से शुरू हो गया है.
हरियाणा चुनाव ने कांग्रेस को कहीं का न छोड़ा
खासकर, हरियाणा विधानसभा चुनाव हार के बाद तो स्थिति और बिगड़ गई है. इंडिया गठबंधन के नेताओं में कांग्रेस के जिद्दीपन से परेशानी होने लगी. इसी का परिणाम है कि मौजूदा महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के साथ-साथ यूपी की 9 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस की स्थिति अच्छी नहीं मानी जा रही है. यूपी में हो रहे उपचुनावों में तो सहयोगी सपा के साथ नहीं बनी तो लड़ने से ही मना कर दिया. चाहे अखिलेश यादव हों या अरविंद केजरीवाल हों या फिर उद्धव ठाकरे सभी कांग्रेस के रवैये से परेशानी होनी शुरू हो गई.
बता दें कि इंडिया गठबंधन के घटक दलों में शामिल आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल महाराष्ट्र चुनाव प्रचार करेंगे. लेकिन, वह कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए नहीं बल्कि एनसीपी शरद पवार गुट और शिवसेना उद्धव ठाकरे के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार करेंगे. यही हाल यूपी में अखिलेश यादव ने कांग्रेस को कर दिया है. यूपी की 9 सीटों पर हो उपचुनाव में कांग्रेस 3 से 4 सीटें मांग रही थी. कई दिनों तक इस बात को लेकर दोनों नेताओं में बात नहीं हुई. ऐसे में देखना है कि क्या अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव झारखंड और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगेंगे?
Tags: Akhilesh yadav, Jharkhand election 2024, Maharashtra election 2024, Rahul gandhi, Tejashwi Yadav
FIRST PUBLISHED : October 29, 2024, 15:29 IST