12 August 1947: आज की सुबह की शुरूआत महात्मा गांधी के कोलकाता ( तब का कलकत्ता) के नजदीक स्थित सोडेपुर आश्रम से करते हैं. आज महात्मा गांधी से मिलने सुहरावर्दी आया हुआ है. सहरावर्दी वही शख्स है, जिसके सिर 5000 से अधिक हिंदुओं की हत्या का पाप है. और सुहरावर्दी अपने सिर पर चढ़े इस पाप को शान की तरह लिए घूमता है. प्रार्थना सभा के बाद महात्मा गांधी ने अपने संबोधन में सुहरावर्दी के आश्रम आने की वजह साफ की.
उन्होंने बताया कि कल रात सुहरावर्दी साहब मुझसे भेंट करने आए थे. उन्होंने मुझसे कहा कि ऐसी अशांत परिस्थिति में मुझे कोलकाता छोड़कर नहीं जाना चाहिए. उन्होंने मुझसे यह अनुरोध भी किया है कि कोलकाता में शांति स्थापित होने तक मैं यहीं रहूं. महात्मा गांधी आगे बोले- इस अनुरोध को स्वीकार करने से पहले मैंने सुहरावर्दी साहब के सामने एक शर्त रखी है.
और वह शर्त यह है कि कोलकाता के किसी अशांत इलाके में सुहरावर्दी साहब मेरे साथ एक छत के नीचे रहें. इस दौरान, वहां पर पुलिस या सेना की कोई मौजूदगी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि अगले एक-दो दिनों के भीतर सीमा आयोग विभाजन की निश्चित हुई रेखा को स्पष्ट कर देगा. ऐसे मुश्किल समय पर हिंदु-मुसलमानों को आयोग के निर्णय का सम्मान करना होगा.
महात्मा गांधी बोले- मूर्खता होगी 15/8 को…
प्रशांत पोल ने अपनी पुस्तक ‘वे पंद्रह दिन’ में लिखा है कि अपने संबोधन में महात्मा गांधी ने आगे कहा कि मैंने सुना है कि गोवा, दमन, दीव और पांडिचेरी जैसे पुर्तगाल और फ्रांस शासित राज्यों में रहने वाले भारतीय भी 15 अगस्त के दिन स्वतंत्रता की घोषणा करने वाले है. ऐसा करना पूरी तरह से मूर्खता है. इसका अर्थ तो यही निकलेगा कि हम भारतीयों को घमंड आ गया है. फिलहाल, भारत छोड़कर ब्रिटिश जा रहे हैं, फ्रेंच या पुर्तगाली नहीं. मेरा यह मानना है कि पुर्तगाल और फ्रांस शासित राज्यों में रहने वाले भारतीय आज नहीं तो कल स्वतंत्र हो ही जाएंगे. लेकिन, फिलहाल उन्हें कानून अपने हाथ में लेने की जरूरत नहीं है.
भारत में शामिल होगा लाहौर और फिर…
लाहौर में बीती रात खबर फैल गई कि सिरिल रेडक्लिफ के सीमा आयोग ने लाहौर को भारत में शामिल करने का फैसला कर लिया है. लाहौर भारत में शामिल होगा… यह खबर आग की तरह पूरे लाहौर में फैल गई. और लाहौर में चल रहे दंगों ने रौद्र रूप धारण कर लिया. मुस्लिम नेशनल गार्ड के लोग ने हिंदू और सिख बाहुल्य इलाकों को अपना निशाना बनाना शुरू कर दिया. डिप्टीगंज नामक हिंदू-सिख बहुल इलाके में सुबह करीब 11 बजे दंगाइयों ने सरेराह एक बुजुर्ग सिख का कत्ल कर दिया. दोपहर 3 बजे तक दंगों में मरने वालों की अधिकृत संख्या 50 पार कर चुकी थी. मरने वालों में अधिकांश हिंदू और सिख ही थे. शाम होते-होते लाहौर के दंगों की आग गुरुदासपुर और लायलपुर तक पहुंच चुकी थी.
कश्मीर पर महाराजा संग काक की चाल
प्रशांत पोल ने अपनी पुस्तक ‘वे पंद्रह दिन’ में लिखा है कि लॉर्ड माउंटबेटन ने महाराजा हरि सिंह से मुलाकात के दौरान कश्मीर का विलय पाकिस्तान में करने की सलाह दी थी. इस सलाह को महाराजा हरि सिंह ने सिरे से ठुकरा दिया था. महाराजा हरि सिंह के इस रुख को देखते उनके प्रधानमंत्री रामचंद्र काक ने नई चाल चल दी. काक की मंशा थी कि यदि कश्मीर का विलय पाकिस्तान में नहीं हो रहा है तो किसी भी सूरत में भारत में भी नहीं होना चाहिए. लिहाजा, काक ने महाराजा हरि सिंह को सलाह दी कि कश्मीर को स्वतंत्र ही रखा जाए.
इस बीच, काक ने कांग्रेस और पंडित जवाहर लाल नेहरू से खुलकर दुश्मनी भी मोल ले ली थी. कुछ दिनों बाद, श्रीनगर पहुंचे महात्मा गांधी ने महाराजा हरि सिंह से काक को निकालने के लिए कहा दिया. उन्होंने यह बात जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर कही थी. वहीं, 12 अगस्त 1947 को महाराजा हरि सिंह ने काक को बर्खास्त कर जनक सिंह को जम्मू और कश्मीर का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया. साथ ही, भागने की कोशिश कर रहे रामचंद्र काक को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया गया.
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FIRST PUBLISHED : August 12, 2024, 08:44 IST