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2011 में धनबाद के बीरबल मंडल ने शुरू किया था जिले का पहला लेयर फार्म, अब पद्मश्री पुरस्कार के हैं प्रबल दावेदार

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Birbal Mandal Success story: बीरबल मंडल की सफलता की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो छोटे स्तर से बड़ा सपना देखने की हिम्मत रखता है. उनका योगदान न केवल झारखंड के विकास में अहम है, बल्कि देशभर में एक आदर्श स्थापित करता…और पढ़ें

धनबाद: झारखंड के निवासी बीरबल मंडल ने अपनी मेहनत और दूरदृष्टि से पॉल्ट्री व्यवसाय में अनोखी पहचान बनाई है. साल 1996 में महज 100 मुर्गियों से शुरुआत करने वाले बीरबल मंडल ने अब 25,000 बॉयलर मुर्गियों के फार्म स्थापित कर दिए हैं. उनकी यह यात्रा न केवल आर्थिक सफलता की कहानी है, बल्कि झारखंड में रोजगार और ग्रामीण विकास का भी प्रेरक उदाहरण है.

पॉल्ट्री व्यवसाय की शुरुआत
बीरबल मंडल ने पॉल्ट्री व्यवसाय की संभावनाओं को समझते हुए इसे विस्तार देना शुरू किया. छोटे स्तर से शुरू हुए इस व्यवसाय ने धीरे-धीरे बड़ी सफलता हासिल की. 500 और फिर 1000 मुर्गियों से शुरू होकर आज उनके पास हजारों बॉयलर और लेयर फार्म हैं. उन्होंने न केवल अपने लिए सफलता हासिल की, बल्कि स्थानीय किसानों और मजदूरों को भी रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया.

झारखंड का पहला लेयर फार्म
2011 में बीरबल मंडल ने झारखंड का पहला लेयर फार्म शुरू किया, जहां से मुर्गियों द्वारा अंडे का उत्पादन किया जाता है. वर्तमान में उनके पास धनबाद, रांची और बोकारो में लेयर फार्म हैं, जो प्रतिदिन दो लाख से अधिक अंडे का उत्पादन करते हैं. उनका दावा है कि झारखंड में अंडे की कुल खपत का 70% हिस्सा उनके फार्म से आता है, जबकि शेष 30% पंजाब, बंगाल और हैदराबाद से मंगवाया जाता है.

हेचरी फैक्ट्री की स्थापना
2001 में, बीरबल ने हेचरी फैक्ट्री शुरू की, जिसमें हैदराबाद से अंडे मंगवाकर चिक्स तैयार किए जाते हैं. इन चिक्स की आपूर्ति स्थानीय और बाहरी बाजारों में होती है. इसके साथ ही उन्होंने स्थानीय किसानों को बॉयलर फार्म खोलने के लिए प्रेरित किया और फीड व चिक्स की आपूर्ति कर उनकी आय बढ़ाने में मदद की.

रोजगार और विकास में योगदान
बीरबल मंडल के विभिन्न फार्म और प्लांट्स में लगभग 800 लोग काम कर रहे हैं. इनमें 400 मजदूर फार्म में और 400 उनके निर्माणाधीन प्लांट्स में कार्यरत हैं. उनके प्रयासों ने सैकड़ों परिवारों को रोज़गार के नए अवसर दिए हैं. उनका व्यवसाय न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से, बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से भी झारखंड के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण साबित हुआ है.

भविष्य की योजना
बीरबल मंडल झारखंड में 100% अंडों की आपूर्ति सुनिश्चित करने और दूसरे राज्यों में भी अंडों की बिक्री का विस्तार करने की योजना बना रहे हैं. उनका लक्ष्य झारखंड को आत्मनिर्भर बनाना और राज्य के बाहर भी उनकी पहचान को मजबूत करना है.

पद्मश्री पुरस्कार के लिए सिफारिश
बीरबल मंडल के उत्कृष्ट कार्यों को देखते हुए पशुपालन विभाग ने केंद्र सरकार को उनके नाम की सिफारिश पद्मश्री पुरस्कार के लिए की है. उनके समर्पण और योगदान ने उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए योग्य उम्मीदवार बना दिया है.



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