शिमला. नशे की रोकथाम के लिए हिमाचल प्रदेश में अब पंचायत स्तर पर अभियान चलाए जाएंगे. पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से गांव- गांव तक अभियान चलाया जाएगा. इन संस्थाओं के प्रतिनिधियों के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा. इसी कड़ी में राजभवन शिमला में “नशीली दवाओं और मादक द्रव्यों के सेवन से निपटने में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका” पर विशेष राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया. हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस कार्यशाला का शुभारंभ किया. कार्यशाला का आयोजन पंचायती राज विभाग ने किया, जिसमें कई पंचायतों के प्रतिनिधियों सहित विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया.
सरकारी क्षेत्रों में बनने चाहिए नशा निवारण केंद्र
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कार्यशाला मे जनप्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि नशे से निपटने के लिए पंचायती राज संस्थाओं का अत्यंत महत्व है. देवभूमि हिमाचल पर्यटन और अध्यात्म की दृष्टि से लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है. लेकिन, मादक द्रव्य की बढ़ रहीं प्रवृति से कहीं न कहीं देवभूमि में कुल्लू के मलाना जैसी भूमि नशे के लिए विदेशों तक जानी जा रहीं हैं. नशे से सामुदायिक मूल्य नष्ट हो रहे है और नशे से शरीर को नष्ट करने की कोई मजबूरी नहीं है. इसलिए नशे से निपटने के लिए सामुहिक प्रयास जरुरी हैं. नशा निवारण के लिए सरकारी क्षेत्र में ही नशा निवारण केंद्र स्थापित होने चाहिए, क्योंकि निजी केंद्रों की विश्वसनीयता संशय पैदा करती है. नशा निवारण के लिए पंचायत स्तर पर कार्य किया जाएगा, तो यह कार्य पूरी पीढ़ी को बचाने के समान होगा. इस अभियान में सबसे महत्वपूर्ण योगदान पंचायत प्रतिनिधी दे सकते है.
हमारे पास एकता और समाज की ताकत
पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने समाज में लगातार बढ़ रही नशे की प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि नशे की बढ़ती गिरफ्त के सामने हम असहाय नहीं है, अपितु हमारे पास एकता और समुदाय की ताकत है. इससे नशे जैसी प्रवृत्ति को हिमाचल से समाप्त किया जा सकता है. इसमें पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जाएगी. अपने क्षेत्र में नशे की रोकथाम के लिए पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को सशक्त बनाया जाएगा और प्रदेश भर में जिला और ब्लॉक स्तर पर कार्यशालाएं आयोजित की जाएगी. राजभवन में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला के साथ इसकी शुरुआत हुई है. इसके अलावा पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान मशोबरा में नशा निवारण के लिए 30 प्राथमिक ट्रेनरों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. यह ट्रेनर बाद में प्रदेश भर में आयोजित होने वाली कार्यशालाओं में जनप्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करेंगे. प्रदेश भर में एक वर्ष के भीतर 50% से अधिक पंचायत को नशा मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
FIRST PUBLISHED : November 11, 2024, 13:57 IST