खरगोन. नए साल 2025 की शुरुआत बुधवार से हो रही है. हर कोई चाहता है कि उसका नया साल अच्छा रहे है. घर-परिवार में धन, वैभव, सुख-शांति की कमी न हो और परिवार के सदस्य खूब तरक्की करें. इसके लिए लोग नए साल पर पूजा-पाठ भी करते हैं. मंदिरों में जाकर आराध्य देवी-देवताओं से प्रार्थना करते हैं. कुछ ऐसा ही उपाय खरगोन के प्रसिद्ध ज्योतिषी ने भी बताया है, ताकि आपके घर में साल भर तरक्की होती रहे. लेकिन, इसके लिए आपको मध्य रात्रि में राशि अनुसार पूजा करनी होगी. जानें विधि…
खरगोन के गोल्ड मेडलिस्ट ज्योतिषाचार्य डॉ. बसंत सोनी ने लोकल 18 को बताया कि व्यापारी ज्यादा धन कमाना चाहते हैं, विद्यार्थी परीक्षा में अच्छे अंक चाहते हैं, नेता बड़ा पद और प्रतिष्ठा चाहते हैं. प्रत्येक व्यक्ति सभी प्रकार के सुख चाहता है. इसके लिए शास्त्रों में आठ प्रकार की लक्ष्मी (अष्ट लक्ष्मी) को अलग-अलग प्रकार के विभाग दिए गए हैं. लेकिन, शास्त्रों में नए साल पर राशि अनुसार विशेष पूजा का उल्लेख नहीं मिलता है, परंतु अष्ट लक्ष्मी की पूजा से सभी प्रकार की सुख, सुविधाएं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
भगवान विष्णु की पूजा करें
ज्योतिषाचार्य डॉ. सोनी कहते हैं कि मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन राशियों के जातकों को अष्ट लक्ष्मी की साधना करने की बजाय देवी महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए. महालक्ष्मी की साधना को सफल बनाने के लिए विष्णु भगवान की पूजा करनी चाहिए. इससे माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और विशेष कृपा बरसाती हैं.
ऐसे मिलेगी देवी महालक्ष्मी की कृपा
ज्योतिषी का मानना है कि लोग अक्सर माता महालक्ष्मी की पूजा में एक बड़ी गलती यही करते हैं कि वह देवी की पूजा करते हैं, परंतु विष्णु भगवान की आराधना नहीं करते. चूंकि, भगवान विष्णु मां महालक्ष्मी के पति हैं, जिससे भगवान रूठ जाते हैं और माता को जाने से रोक देते हैं. ठीक उसी प्रकार, जिस तरह मानव जीवन में जहां पति का सम्मान नहीं होता वहां पत्नी नहीं जाती है. इसलिए, विष्णु भगवान को प्राथमिकता देंगे तो अष्ट लक्ष्मी स्वयं चलकर आपके घर आएंगी.
किस समय करें आराधना
देवी महालक्ष्मी की आराधना के साथ सभी 12 राशि के जातकों को अपने-अपने इष्ट देवी-देवताओं सहित कुल देवी तथा पूर्वजों की भी पूजा करनी चाहिए. ज्योतिषी के मुताबिक, इस पूजा को 31 दिसंबर 2024 की मध्य रात्रि में 12 बजे (1 जनवरी 2025 की सुबह से पहले वाली रात) में करना चाहिए. जिससे नए साल में अष्ट देवियों की कृपा से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी. कुलदेवी और पूर्वजों का आशीर्वाद मिलेगा.