बेगूसराय : बिहार में 9वीं सदी की कैथी लिपि से रोजगार के बंपर अवसर मिल रहे हैं. कैथी एक ऐतिहासिक लिपि है. जिसे मध्यकालीन भारत में प्रमुख रूप से उत्तर-पूर्व और उत्तर भारत में काफी बृहत रूप से प्रयोग किया जाता था. वर्तमान समय में भी उत्तर प्रदेश एवं बिहार के क्षेत्रों में इस लिपि में वैधानिक एवं प्रशासनिक कार्य के कई प्रमाण आपको देखने के लिए मिल जाएंगे.
जानकारों के मुताबिक कैथी लिपि, जिसका जुड़ाव 7 से अधिक भाषाओं से रहा है, उसके संरक्षण के लिए सरकार कई अहम कदम उठाने जा रही है. लेकिन क्या आपको पता है यह लिपि एक जाति विशेष समुदाय की लिपि थी. जिसे राजकीय लिपि की स्वीकृति मिल चुकी है. ज्ञात हो कि 1989 के दशक तक बिहार के कुछ जिलों में इसका उपयोग होता रहा, लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवहार से बाहर होता चला गया. आइए जानते हैं इस जाति विशेष की लिपि के बारे में …
80 के दशक तक कैथी लिपि का रहा है चलन
हिंदी साहित्य की लेखिका मुकुल लाल इलित्जा ने लोकल 18 से बताया निसंदेह कैथी लिपि एक जाति विशेष की लिपि है. कैथी का मतलब ही कायस्थों से जुड़ी हुईं भाषा, जिसे सिन्हा समुदाय या फिर कायस्थ समुदाय के लोग बोला करते थे? और लिखा करते थे… बोलने के बारे में तो में नहीं जानती. लेकिन, जब मेरी शादी हुई थीं तो मेरी सास जो चिट्टियां लिखा करती थीं वो कैथी लिपि में ही हुआ करता था. इस समुदाय में 70-80 के दशक तक यह लिपि प्रचलन में रहा है.
प्रकाश सिन्हा वार्ड पार्षद बताते हैं, देश के इतिहास में संस्कृत राजकाज की भाषा थी. ब्राह्मण समुदाय के अलावा अन्य समुदाय को ना बोलने की आजादी थी ना पढ़ने की. इसका नतीजा यह हुआ कि धीरे-धीरे जब मुगल काल आया तो इस दौरान शिक्षा का विकास हुआ. लगभग 7 भाषाओं को मिलाकर कैथी लिपि का अविष्कार कायस्थ लोगों ने किया था.
1880 के दशक में एक जाति की लिपि बनी राजकीय लिपि
हिंदी साहित्य के लेखक और वरिष्ठ पत्रकार पुष्कर प्रसाद सिंह ने बताया ब्रिटिश राज ने 1880 के दशक में इसे बिहार की अदालतों की आधिकारिक लिपि के रूप में मान्यता दी थी. इस प्रकार यह एक जाति विशेष की लिपि राजकीय लिपि बनी थी. आज के दौर में हमारे भी कई जमीन के कागजात हैं जो इस लिपि में होने के कारण कोर्ट में विवाद चल रहा है. लिपि कोई समझ ही नहीं पाता जिसके कारण आजतक मामला लंबित है. बिहार के बेगूसराय में भी कैथी में लिपिबद्ध कई धार्मिक ग्रंथ भी प्राप्त हुए हैं इनके संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है.
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FIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 22:59 IST