मधुबनी. मई के महीने में बिहार के अधिकांश हिस्सों में बारिश हुई है. बारिश के बाद किसानों ने धान की खेती के लिए तैयारी शुरू कर दी है. धान का बिचड़ा गिराने के लिए किसान खेत की जुताई करने में भीड़ गए हैं. वहीं 25 मई से रोहिणी नक्षत्र शुरू होने वाला है. इस नक्षत्र में अधिकतर किसान बिचड़ा खेत में गिराते हैं. इसको लेकर बिहार के मधुबनी जिले में भी किसानों ने तैयारी शुरू कर दी है. कृषि विभाग की माने तो इस साल भी पिछले साल की तरह 1.83 लाख हेक्टेयर में धान की खेती कराने की संभावना है. वहीं उत्पादन का लक्ष्य 4.50 लाख मीट्रिक टन रहेगा. हालांकि विभाग से अभी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हुई है.
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को रोहिणी नक्षत्र में 140 से 160 दिन में तैयार होन वाले प्रभेद के बीज को खेतों में बुआई की सलाह दी जा रही है. वहीं जलजमाव वाले जमीन के लिए लंबी अवधि के प्रभेद के बीज की बुआई की सलाह दी गई है. कृषि विभाग ने बिहार राज्य बीज निगम को धान का बीज उपलब्ध कराने के लिए डिमांड भेज दिया है. डीएओ ने अधिकृत बीज विक्रेता से धान का बीज खरीदने की सलाह दी है.
किसानों को पहले आओ पहले पाओ के तर्ज पर मिलेगा बीज
डीएओ प्रवीण राय के मुताबिक जिले को मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत 157.20 क्विंटल धान के बीज का लक्ष्य है. वहीं एक राजस्व ग्राम से 90 प्रतिशत अनुदान पर दो किसानों को 6 किलो बीज पहले आओ पहले पाओ के तर्ज पर मिलेगा. राज्य योजना के तहत 10 वर्ष से अधिक आयु के धान के 1285 क्विंटल बीज का लक्ष्य है, जो 50 प्रतिशत अनुदान यानी प्रति किलो 15 रुपए की दर से अनुदान पर मिलेगा. वहीं 10 वर्ष से कम आयु के धान का बीज का लक्ष्य 2628 क्विंटल निर्धारित किया गया है. इस बीज के लिए 20 रुपए प्रति किलो अधिकतम 60 किलो तक का अनुदान किसानों को देय होगा. उन्होंने बताया कि किसान कम अवधि वाले धान के प्रभेद में सहभागी, सबौर दीप, हर्षित, अभिषेक, सीओ 51, स्वर्ण श्रेया, राजेन्द्र भगवती, राजेन्द्र कस्तूरी व प्रभात, मध्यम अवधि के प्रभेद में डीआरआर 42, 44, संभा सब-1, एमटीयू 1001, बीपीटी 5204, राजेंद्र श्वेता, सबौर अर्द्धजल और लंबी अवधि वाले प्रभेद में एमटीयू 7029, राजेंद्र मंसूरी 1 व 2, स्वर्णा सब-1 व राजश्री का चयन कर सकते हैं.
श्रीविधि से धान की खेती में डेढ़ गुणा अधिक होता है मुनाफा
मधुबनी में मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना के तहत धान की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा. इसके अलावा इस बार श्रीविधि से भी धान की खेती कराने की योजना है. पारंपरिक विधि की अपेक्षा श्री विधि से खेती करने पर लागत अधिक आता है. श्री विधि से प्रति एकड़ उपज 30 क्विंटल से अधिक जबकि पारंपरिक विधि से अधिकतम 20 क्विंटल ही उपज हो पाता है. श्री विधि से खेती करने पर किसानों के आय में डेढ़ गुणा अधिक मुनाफा मिलता है. जबकि परंपरागत विधि की तुलना में श्री विधि से खेती करने पर 7 गुणा कम बीज लगता है.
मोटे अनाज की खेती को भी दिया जाएगा बढ़ावा
कृषि विभाग ने मोटे अनाज की खेती खेती को भी बढ़ावा देने का निर्णय लिया है. किसानों को धान के बदले वैकल्पिक फसल लगाने के लिए प्रोत्साहित करने की योजना है. जिसमें किसान अरहर, मक्का व उड़द, ज्वार, बाजरा व मडुआ जैसे वैकल्पिक फसलों की खेती कर सकते हैं. वैकल्पिक फसलों के बीज उपलब्ध कराने की तैयारी कृषि विभाग कर रहा है. मोटे अनाज में ज्वार व बाजरा के लिए दो-दो क्विंटल व मडुआ के एक क्विंटल बीज के लक्ष्य का निर्धारण किया गया है, जो ऑनलाइन आवेदन करने वाले किसानों को हीं मिलेगा.
Tags: Agriculture, Bihar News, Local18, Madhubani news, Paddy crop
FIRST PUBLISHED : May 20, 2024, 12:42 IST