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इस चरखे में समाया है पूरा देश, ये हैं एक से बढ़कर एक खासियतें, बनाने में लगे 3 साल

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रिपोर्ट- निखिल स्वामी

बीकानेर: बीकानेर नमकीन के अलावा अपनी कला संस्कृति के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. यहां की सुनहरी कलम यानी उस्ता कला काफी ज्यादा प्रचलित है और देशी और विदेशी लोग भी इसके दीवाने है. बीकानेर के एक कलाकार ने इस कला के माध्यम से देश की पूरी संस्कृति एक चरखे में जोड़ने का प्रयास किया है.

चित्रकार राम कुमार भादाणी ने बताया कि सागवान की लकड़ी से स्पेशल चरखा बनाया है. ये चरखा 12-12 ताड़ियों से सुसजित है, जिसकी लम्बाई फाउण्डेशन सहित 33 चौड़ाई 18 व ऊंचाई 18 है. चरखे की सतह को फाउण्डेशन पर लगाया गया है. जिसको पूर्ण होने में लगभग 3 वर्ष का समय लगा है.

भारतवर्ष में अहिंसा के लिए विख्यात हुए महात्मा गांधी के चरखे को अहिंसा के प्रतीक के रूप में माना जाता है. चरखा एक हस्तचलित युक्ति है जिससे सूत तैयार किया जाता है जिससे यह आर्थिक स्वावलम्बन का प्रतीक भी बन गया है. इसकी ऐसी ही विशेषताओं को देखकर मैंने चरखे की सतह पर 12-12 ताड़ियों से सुसज्जित पंखुडियों पर अशोक चक्र की 24 तिलियों के नामों से प्रभावित होकर इस चरखे की 12-12 ताड़ियों पर इनका नाम सुनहरी कलम उस्ता कला से देवनागरी लिपिबद्ध किया है.

1. कर्त्तव्य 2. सहकार्य 3. शांति 4. बंधुत्व 5. समृद्धि 6. अधिकार 7. संयम 8. सेवा 9. आरोग्य 10. न्याय 11. संगठन 12. सुरक्षा 13. शील 14. क्षमा 15. त्याग 16. व्यवस्था 17. प्रेम 18. नियम 19. अर्थ 20. उद्योग 21. मैत्री 22. नीति 23. कल्याण 24. समता को दर्शाया गया है.

चरखे के व्यास के पास 2 स्तंभ स्थित हैं जिन पर सारनाथ का अशोक स्तंभ सिंह चतुर्मुख को दर्शाया गया है. उसके सामने दिए गए छोटे 2 स्तंभों पर अशोक चक्र को समर्पित किया गया जिसको राष्ट्रीय ध्वज में स्थान दिया गया है. चरखे की नीचे की पट्टिका पर महात्मा गांधीजी के 3 बंदरों के चित्रण को अंकित किया गया है जिसमें बुरा न देखें, बुरा न बोले, बुरा न सुनें को दर्शाया है. साथ ही गांधीजी के चश्मे को स्वच्छ भारत का परिचायक बताया है. साथ ही पास बनी गांधीजी की घड़ी समय की महत्वता को निरंतरता की और दर्शाती है. चरखे को चलाने के लिए जो हैंडल होता है उसकी सतह पर भारत का सर्वोच्च वाक्य सत्यमेव जयते को देवनागरी लिपि में अंकित किया गया है. अब चरखे के नीचे की सतह पर जिस फाउण्डेशन को तैयार किया गया है उस पर राष्ट्र के प्रतीक, चिन्ह, राष्ट्र के गौरव और राष्ट्रपिता को दर्शाता है जिसमें सर्वप्रथम भारत का सर्वोच्च पुरष्कार भारत रत्न को दर्शाया गया है.

राष्ट्र वाद्य यंत्र के रूप में वीणा को, राष्ट्र मुद्रा के रूप में रुपये के चिन्ह को, राष्ट्र पशु के रूप में बाघ, राष्ट्रीय पक्षी के रूप में मोर को, राष्ट्र भाषा के रूप में हिन्दी को, राष्ट्रीय गीत के रूप में वन्दे मातरम को, राष्ट्रीय जलचर के रूप ब्लु व्हेल को, राष्ट्रीय सब्जी के रूप में कट्टु को, राष्ट्रीय पेड़ के रूप में बरगद को, राष्ट्रीय झंडे के रूप में तिरंगे को, राष्ट्रीय फूल के रूप में कमल के फूल को, राष्ट्रीय फल के रूप में आम को, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को, राष्ट्र गान के रूप में जन-गण-मन को और राष्ट्र खेल के रूप में हॉकी को दर्शाया गया है.

इन सभी को एम्बोस में सुनहरी कलम के साथ दिखाया गया है और इनकी सतह पर सफेद रंग से रंगांकन किया गया है जों कि इनके प्रभाव को दर्शाता है. फाउण्डेशन के चारों कोनों पर फूल पत्तियों व मध्य में भी फूल पत्तियों का चित्रांकन किया गया है. इसकी सतह पर सफेद जो शांति का प्रतीक माना जाता है नीचे के भाग में पत्तियों से युक्त संयोजन में लाल व हरे रंग का उपयोग किया गया है.

बीकानेर के चित्रकार राम कुमार भादाणी के विचार आया कि चरखे की खोज के लिए और उसको जीवन में उतारने के लिये जो महात्मा गांधीजी ने प्रयास किया उतना तो नहीं पर उनके जीवन के कुछ पहलु जो उनके जीवन से हमें सीख को भारत की सुदृढ़ परिचायक बना सके. ऐसे ही कुछ कलात्मकता के साथ चरखे का उपयोग करते हुए इसमें कुछ ऐसी विशेषता लिए हो जो कि एक पूर्ण रूप से भारत की अखंडता को दर्शाता हो. इसी सोच विचार को लिए हमारी संस्कृति व हमारी विरासतों को गांधीजी के “अहिंसा परमो धर्म” सिद्धांत के रूप में चरखे के साथ तालमेल बैठाकर एक सुनहरी कलम से चरखे पर कलात्मक कार्य करने का निश्चय किया.

Tags: Local18



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