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भगवान शंकर के सिर पर क्यों खड़े हुए कृष्ण, आज भी बने हैं पैर के निशान

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रिपोर्ट- निर्मल कुमार राजपूत

मथुरा: समूचा ब्रज मंडल कृष्ण की लीलाओं का गुणगान करता है. कृष्ण की अद्भुत लीलाओं के दर्शन आपको ब्रजमंडल में देखने को मिलेंगे. भगवान श्री कृष्ण बाल अवस्था से ही नटखट रहे. बाल्यावस्था में श्री कृष्ण ने ऐसे ऐसे लीलाओं को किया जो आप कभी सोच भी नहीं सकते हैं. श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में कई असुरों का संघार किया तो अपनी बांसुरी की मधुर धुन से बृजवासियों को एकजुट बांधकर भी रखा.

भगवान शंकर के माथे पर एक पैर अंगूठा और लाठी के निशान आज भी हैं मौजूद
भगवान श्री कृष्णा भले ही मथुरा में 11 साल 52 दिन रहे हों लेकिन, उन्होंने इस अवस्था में बड़े-बड़े असुरों का वध कर दिया था. श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में ऐसी अनेकों लीलाएं की जो ब्रजमंडल में आपको उन लीलाओं के दर्शन देखने को मिलेंगे.

यहां पर अद्भुत और अलौकिक लीलाओं का मंचन श्री कृष्ण के द्वारा द्वापर काल में किया गया. गोकुल में जब राक्षसों का अधिक प्रकोप जनता पर बढ़ रहा था तो श्री कृष्ण मथुरा और गोकुल छोड़कर नंद गांव की ओर कूच कर गए. नंद गांव में भी अनेकों लीलाओं को श्री कृष्ण ने बाल्यावस्था में किया. श्री कृष्णा अपने बाल सखा मधु मंगल के साथ गोचरण के लिए जाते थे. गोचरण के दौरान भगवान कृष्ण उन लीलाओं को करते थे. नंदगांव से करीब 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

चरण पहाड़ी
यहां पर ऐसी मान्यता है कि चरण पहाड़ी पर श्री कृष्ण के पैरों के अंगूठे के निशान और उनके हाथ में लगी हुई लाठी के निशान आज भी बने हुए हैं. चरण पहाड़ी का किस्सा भगवान शिव से जुड़ा हुआ है. भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का दीदार करने के लिए यहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु आते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु द्वापर कालीन युग की याद करते हैं और भगवान श्री कृष्ण यहां बाल अवस्था में थे तो यहां बैठकर श्रद्धालु उनका गुणगान करते हैं.

नंदेश्वर पर्वत के नाम से भी जानी जाती है चरण पहाड़ी
चरण पहाड़ी मंदिर के महंत ने यहां की मान्यता के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि द्वापर कालीन इस पहाड़ी पर भगवान शिव आए थे. चरण पहाड़ी नंदेश्वर पर्वत के नाम से भी जानी जाती है.

ऐसे पड़ गए भगवान शंकर के चेहरे पर निशान
मान्यता के अनुसार यहां जब भगवान श्री कृष्ण मधुमंगल के साथ गाय चराने के लिए आए थे तो भगवान शंकर पहाड़ के रूप में लेटे हुए थे. भगवान श्री कृष्ण ने अपने गाय और बछड़ा को बुलाने के लिए यहीं बांसुरी बजाई और जिस जगह भगवान श्री कृष्ण खड़े हुए थे वह शंकर भगवान का सिर था. माथे पर खड़े होकर भगवान श्री कृष्ण बांसुरी बजा रहे थे, तो उनके माथे पर एक अंगूठा एक पैर और लाठी का निशान आज भी देखने को मिलता है.

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