मेरठ: जीवन में कितनी भी कठिनाइयां क्यों न हो, यदि हमारे हौसले बुलंद हों तो शिक्षा के उजाले से हम अपनी तकदीर बदल सकते हैं. यह बात एक बार फिर सिद्ध हुई जब चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षांत समारोह में निक्की बालियान को एमपीएड पाठ्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा डॉ. शंकर दयाल स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया. इस सम्मान के पल में सभी ने निक्की बालियान के लिए तालियां बजाई. उनकी इस उपलब्धि के पीछे की कहानी संघर्ष और समर्पण की है.
निक्की बालियान ने लोकल-18 से खास बातचीत में बताया कि इस खास उपलब्धि में सबसे बड़ा योगदान उनकी मां सुदेश का है. जब निक्की 12वीं कक्षा में थीं, तब उनके पिता का हार्ट अटैक से निधन हो गया था. इस घटना के बाद परिवार में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया, लेकिन उनकी मां ने हार नहीं मानी. मां ने घर की जिम्मेदारियों को संभालते हुए निक्की के लिए भरपेट खाना तैयार किया और गांव की खेती के साथ-साथ आर्थिक समस्याओं का डटकर सामना किया. मां के इस संघर्ष और उनके शिक्षकों के मार्गदर्शन ने निक्की को चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से फिजिकल एजुकेशन में एमपीएड की पढ़ाई पूरी करने में मदद की. आज निक्की जबलपुर में गवर्नमेंट टीचर के रूप में कार्यरत हैं.
पॉजिटिव थिंकिंग ही लाती है जीवन में बदलाव
निक्की बालियान का मानना है कि कई युवा आर्थिक संकट के चलते हार मान लेते हैं, लेकिन जीवन में हार मानना किसी भी समस्या का समाधान नहीं है. वह कहती हैं कि निरंतर प्रयास करते रहने से ही जीवन में सफलता मिलती है. उनकी माँ ने उन्हें जो सिखाया, उसी के बल पर वह सफलता की ओर अग्रसर हैं. निक्की ने यह भी बताया कि उनका एक छोटा भाई है जो अभी पढ़ाई कर रहा है. जब उनकी मां से बात की गई, तो बेटी की उपलब्धि पर उन्हें गर्व महसूस हुआ और वह भावुक हो गईं.
दीक्षांत समारोह में बेटियों की धूम
दीक्षांत समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, मुख्य अतिथि डॉ. नल्लाथम्बी कलैसेल्वी (महानिदेशक, सीएसआईआर एवं सचिव, डीएसआईआर), और सीसीएसयू की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला द्वारा 200 से अधिक छात्रों को मेडल और सर्टिफिकेट प्रदान किए गए. समारोह में बेटियों की धूम रही, जहाँ 80% मेडल बेटियों ने जीते, जबकि बेटों की संख्या मात्र 20% ही थी.
FIRST PUBLISHED : September 4, 2024, 09:45 IST