रामनाथ कोविंद कमेटी की सिफारिशों को मोदी कैबिनेट ने किया स्वीकारलोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने की बात संसद के शीतकालीन सत्र में वन नेशन, वन इलेक्शन पर लाया जा सकता है बिल
नई दिल्ली. मोदी कैबिनेट ने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है. कैबिनेट के इस कदम के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाओं के आने का दौर भी शुरू हो चुका है. साथ ही इस बात पर भी चर्चा होने लगी है कि यदि इसे देश में लागू कर दिया गया तो इससे सरकारी खजाने को कितनी बचत होगी. चुनाव खर्च पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो यदि इस फॉर्मूले के तहत इलेक्शन कराया गया तो 30 फीसद तक खर्च बचाई जा सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के सहयोग पर काफी कुछ निर्भर करेगा.
चुनाव खर्च पर नजर रखने वाले एक विशेषज्ञ के अनुसार, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ लागू होने पर चुनाव खर्च में कम से कम 30 प्रतिशत की कमी आ सकती है. तकरीबन तीन दशकों से चुनाव खर्च पर नजर रख रहे एन. भास्कर राव ने कहा कि ‘वोट के बदले नोट’ या मतदाताओं को लुभाने पर अंकुश लगाए बिना चुनाव खर्च में उल्लेखनीय कमी नहीं आएगी. इस साल हुए लोकसभा चुनावों से पहले सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) के प्रमुख राव ने अनुमान लगाया था कि यदि 2024 में भारत में सभी स्तरों पर चुनाव होते हैं, तो इस पर 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होंगे.
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…तो 3 लाख करोड़ रुपये की होगी बचत
भास्कर राव के लोकसभा चुनाव पर आने वाले खर्च के विश्लेषण को मान लें तो अभी एक राष्ट्र, एक चुनाव कराने पर 3 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. उन्होंने कहा कि यह अनुमान संसदीय चुनावों से पहले लगाए गए थे और भविष्य के चुनावों में वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है. भास्कर राव ने स्पष्ट किया कि इन आंकड़ों में राजनीतिक दलों द्वारा निर्वाचन आयोग को बताए गए आधिकारिक खर्च के आंकड़ों और चुनाव कराने में सरकार द्वारा किए गए खर्च के अतिरिक्त बेहिसाबी खर्च भी शामिल हैं.
इलेक्शन कमीशन और राजनीतिक दल
चुनावी खर्च विशेषज्ञ भास्कर राव ने बताया कि एक राष्ट्र, एक चुनाव के फॉर्मूले को अपनाने से अनुमानित 10 लाख करोड़ रुपये के चुनाव खर्च में से 3 से 5 लाख करोड़ रुपये की बचत हो सकती है. यह चुनाव आयोग की कार्यकुशलता और राजनीतिक दलों के सहयोग पर निर्भर करेगा. उन्होंने आगे बताया कि एक राष्ट्र, एक चुनाव पहल से चुनाव खर्च में कोई महत्वपूर्ण कमी नहीं आएगी, जब तक राजनीतिक दलों की ओर से मौजूदा तौर-तरीकों पर लगाम नहीं लगाई जाती. इसके अलावा निर्वाचन आयोग अधिक कार्यकुशल नहीं होता, मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट को राजनीतिक दलों द्वारा नहीं अपनाया जाता और चुनाव कार्यक्रम अधिक तर्कसंगत नहीं हो जाता, तब तक चुनाव खर्च में उल्लेखनीय कमी की उम्मीद नहीं की जा सकती.
Tags: Election Commission of India, National News, Prime Minister Narendra Modi
FIRST PUBLISHED : September 18, 2024, 22:59 IST