कुल्लू: कुल्लू निवासी मनदीप सिंह डांग ने मरणोपरांत अपने सभी अंगों को दान करने का संकल्प लिया है, जो अब समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गए हैं. उन्होंने भारत सरकार की अंगदान पंजीकरण वेबसाइट पर खुद को पंजीकृत किया है और अब अन्य लोगों को भी अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक कर रहे हैं.
कैसे कर सकते हैं अंगदान के लिए पंजीकरण
यदि कोई व्यक्ति मरणोपरांत अपने अंगों को दान करना चाहता है, तो इसके लिए उसे खुद को ऑनलाइन पंजीकृत करना होगा. यह प्रक्रिया ऑर्गन डोनेशन की सरकारी वेबसाइट https://notto.abdm.gov.in/ पर पूरी की जा सकती है. पंजीकरण के लिए व्यक्ति की उम्र 18 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
ऑनलाइन पंजीकरण के दौरान, व्यक्ति को अपनी व्यक्तिगत जानकारी, आभा कार्ड की डिटेल और दान किए जाने वाले अंगों की जानकारी देनी होगी. इसके साथ ही, नॉमिनी या विटनेस की जानकारी भी देनी पड़ती है, और परिवार की मंजूरी भी अनिवार्य है. पंजीकरण के बाद, अंगदान का प्रमाणपत्र जारी किया जाता है.
अंगदान के बारे में मनदीप का दृष्टिकोण
मनदीप सिंह का मानना है कि अंगदान से एक व्यक्ति अपनी मृत्यु के बाद भी 8 लोगों की जान बचा सकता है. इसके लिए लोगों को इस प्रक्रिया के बारे में जागरूक होना जरूरी है. उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश के आईजीएमसी अस्पताल में केवल आंखों के दान की प्रक्रिया की जाती है. अन्य अंगों के दान के लिए मृतक के शरीर को तुरंत पीजीआई चंडीगढ़ ले जाना पड़ता है, क्योंकि वहाँ अंगदान की संपूर्ण प्रक्रिया पूरी की जाती है.
समाज सेवा से जुड़ी मनदीप की यात्रा
मनदीप सिंह पिछले 26 वर्षों से समाज सेवा में सक्रिय हैं. वह अस्पतालों में जरूरतमंद मरीजों, बेसहारा लोगों और जानवरों की मदद करते हैं. इसके लिए उन्होंने “कार सेवा दल” नामक संस्था की स्थापना की है, जो समाज से मिले दान और सहयोग के माध्यम से जनसेवा का कार्य करती है.
मनदीप सिंह डांग का यह कदम समाज में अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाने में मददगार साबित हो रहा है, और वह लगातार लोगों को इस दिशा में प्रेरित कर रहे हैं. उनके इस प्रयास से कई लोग अंगदान के महत्व को समझ रहे हैं और इस पुण्य कार्य के लिए आगे आ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 25, 2024, 12:13 IST