वो दिन गए जब देश पॉलिसी पैरालिसिस से ग्रस्त था… वो दिन गए जब देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी, विकास मानों थम सा गया था. लेकिन वक्त बदला, सत्ता बदली, नेता बदला. एक ऐसा नेता जिसने गुजरात का कायाकल्प कर देश के सामने एक मिसाल खड़ी कर दी थी. पिछले 23 सालों से पीएम मोदी का नेतृत्व एक बदलाव की मशाल लेकर देश और समाज बदलने में लगा है. शुरुआत गुजरात में बदलाव की आंधी के रूप में हुई तो अब 2014 से भारत को विकास की एक राह पर डाल दिया है. जहां से देश न तो रुकेगा और ना ही किसी के थामने से थमेगा. आज संपूर्ण विश्व में भारत डिजिटलाइजेशन, इंफ्रास्ट्रक्चर और समाज कल्याण के क्षेत्र में की जा रही मोदी सरकार की पहल के लिए जाना जा रहा है. विकास की इन तमाम पहलों पर पीएम मोदी की अटूट प्रतिबद्धता की छाप भी साफ नजर आ रही है. जाहिर है पीएम मोदी की चुनावी राजनीति के इन 23 सालों की शुरुआत गुजरात को नया रूप देने से हुई जो अब पूरे देश को नया रूप देने में लगी हुई है.
पीएम मोदी ने भी एक ट्वीट कर उन सबका धन्यवाद दिया जिन्होंने उन्हें सरकार के मुखिया के तौर पर 23 साल पूरे करने पर बधाई दी. पीएम ने लिखा कि 7 अक्टूबर 2001 को बतौर गुजरात के सीएम सत्ता संभालने से ये कहानी शुरू हुई थी. उन्हें अपनी महान पार्टी बीजेपी पर भी गर्व है क्योंकि उन्होंने मुझ जैसे एक छोटे कार्यकर्ता को एक राज्य चलाने की जिम्मेदारी दी. पीएम मोदी ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने गुजरात के कायाकल्प की दास्तान देश के सामने रखी.
मोदी के सत्ता संभालने से पहले और बाद का गुजरात
1980 के दशक से गुजरात एक अभूतपूर्व संकट के दौर से गुजर रहा था. 1985-1987 तक गुजरात को लगातार 3 सालों तक भयंकर सूखे की मार झेलनी पड़ी थी. आलम ये था कि राज्य के 18000 गांवों में 11000 को पीने का पानी नहीं मिल पा रहा था. घास नहीं मिल पाने से हजारों पशुओं की मौत हो गई थी. फसल खराब होने लगी थी, जिसके कारण लोग राज्य के बाहर रोजगार की तलाश में निकलने लगे थे. राज्य की अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी. इसके बाद से 2001 में भयंकर भूकंप की मार भी राज्य को झेलनी पड़ी. निराशा के ऐसे माहौल में अक्टूबर 2001 में नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर सत्ता संभाली.
मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम मोदी ने मिशन मोड में राज्य को पीने के पानी के संकट और बदहाल अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का काम शुरू किया. सुजलाम सुफलाम योजना की सफलता ने गुजरात को पानी के मामले में स्वाबलंबी बना दिया. ज्योतिग्राम योजना के तहत राज्य के सभी ग्रामीण इलाकों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति होने लगी. इससे कृषि क्षेत्र और किसानों के साथ-साथ छोटे उद्योग धंधों का भी कायाकल्प हो गया. ये तमाम मुद्दे ऐसे थे जिसकी चिंता सभी को थी लेकिन कोई भी सरकार इसे दूर करने का लांग टर्म प्लान नहीं बनाती थी. सीएम मोदी ने गांव देहात से जुड़ी इन समस्याओं को पकड़ा और गुजरात विकास की मुख्यधारा पर ऐसा आगे बढ़ा कि सबसे आगे निकल गया.
2003 में वाइब्रेंट गुजरात समिट आयोजित कर दुनिया भर से आए निवेशकों को एक ऐसा प्लेटफार्म दिया जिससे दुनिया के बड़े-बड़े निवेशकों ने गुजरात का रुख करना शुरू कर दिया. नजीता ये कि गुजरात की अर्थव्यवस्था ही मजबूत नहीं हुई बल्कि एक राज्य एक औद्योगिक शक्ति के रूप में भी एक आदर्श बनकर उभर आया. दूसरी ओर साबरमती रिवरफ्रंट बनाकर सीएम मोदी ने साबित कर दिया कि शहरी विकास और नजरअंदाज किए गए स्थानों को भी पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित किया जा सकता है.
2014 में नरेंद्र मोदी ने बतैर पीएम शपथ ली
2014 के पहले वाला दशक देश के लिए एक वक्त था जब मानो विकास थम गया था. पॉलिसी पैरालिसिस, महंगाई, चरमराई अर्थव्यवस्था और इन सबसे ऊपर 2जी, कोयला घोटाला जैसी भ्रष्टाचार की कहानियां तो मानो भारत की पहचान बन गए थे. ऐसे में पीएम मोदी के सामने एक से एक बड़ी चुनौतियां मुंह बाए खड़ी थीं जिनसे निपटना मानो एक टेढ़ी खीर ही था. इन बड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए पीएम मोदी ने डिजिटल इंडिया मिशन शुरू किया ताकि पूरा देश इस डिजिटल ताकत से खुद को मजबूत बना सके. इसका असर अब साफ दिखने लगा है जब सिर्फ एक बटन दबाकर पीएम करोड़ों किसानों के खाते में पैसे ट्रांसफर कर देते हैं. डिजिटल पेमेंट तो भारत की पहचान बन चुका है. पीएम किसान सम्मान निधि को ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर माना जा रहा है. आधार और जैम यानी जनधन, आधार और मोबाइल की तिकड़ी ने पूरे देश की अर्थव्यवस्था को बदल कर रख दिया है.
सत्ता संभालने के बाद पीएम मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की. इस अभियान ने जन स्वास्थ्य और सैनिटेशन के मामले में पूरे देश में क्रांति ला दी. दस साल के बाद आलम ये है कि 100 मिलियन से ज्यादा शौचालय बनाए जा चुके हैं. हजारों गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित हो चुके हैं. सदियों के बाद मोदी राज में महिलाओं को अब खुले में शौच करने से मुक्ति मिली है. आयुष्मान भारत ने गरीबों के इलाज में क्रांति लाई है. ये दुनिया का सबसे बड़ा सरकारी हेल्थ केयर प्रोग्राम है, जिसके तहत 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मुहैया कराया गया है. इसके बाद 70 से ऊपर की आयु वाले बुजुर्गों को 5 लाख की मेडिकल सुविधा देने का ऐलान भी मोदी सरकार का मन भाने वाला कल्याण कार्यक्रम है. पीएम आवास योजना के तहत 4 करोड़ भारतीयों को पक्के घर बना कर सरकार ने दिए हैं. इसलिए अब गरीबों के लिए घर का सपना हकीकत में बदलता नजर आ रहा है.
मेक इन इंडिया जैसी पहल ने भारत को दुनिया के एक मैनुफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित करना शुरू कर दिया है. इससे न सिर्फ स्थानीय उद्योग धंधे पनप रहे हैं बल्कि इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलने लगा है. आत्मनिर्भर भारत, 14 मुख्य सेक्टरों के लिए पीएलआई योजना एक बड़ी मुहिम बन कर उभरी हैं. आलम ये है कि अब भारत का विदेशी मुद्रा रिजर्व 700 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. जबकि 2013-14 में ये सिर्फ 300 बिलियन डॉलर ही था. सड़कों, रेलवे, एयरपोर्ट का आधुनिकिकरण पीएम मोदी का मिशन ही है. इससे न सिर्फ कनेक्टिविटी बल्कि व्यापार भी तैजी से बढ़ रहा है.
जी-20 समिट ने तो पीएम मोदी ही नहीं भारत को एक वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया. अब पूरी दुनिया आर्थिक क्षेत्र, पर्यावरण और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के लिए भारत की ओर देख रही है ताकि वो कुछ सीख सके. अब भारत विश्व बंधु के रूप में मानवता के लिए पूरी दुनिया को एकजुट रहने और सहयोग करने का संदेश दे रहा है. जिन देशों में जंग छिड़ी है वो भी भारत को एक भरोसे का साथी और दोस्त मान रहे हैं. अब तो दुनिया के बड़े शक्तिशाली देश भी सुरक्षा परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाए जाने की वकालत कर रहे हैं.
23 साल पूरे होने पर पीएम ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि इन 23 सालों में काफी कुछ पाया लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है. उनकी द्वार शुरू की गई कई योजनाएं तो देश ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी असर छोड़ रही हैं. अंत में पीएम मोदी ने पूरे देश को आश्वासन भी दिया कि वो बिना थकेंगे और ताकत के साथ लोगों के कल्याण में लगे रहेंगे और तब तक चैन की सांस नहीं लेंगे जब तक विकसित भारत का सपना पूरा नहीं होता.
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FIRST PUBLISHED : October 7, 2024, 23:38 IST