हरियाणा में ‘डबल इंजन’ सरकार का सिलसिला 1999 से शुरू हुआ.पिछले ढाई दशक से यह परंपरा हरियाणा में कायम है. इस बार भी हरियाणावासियों ने डबल इंजन सरकार को ही चुना है.
नई दिल्ली. हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections 2024) परिणाम लगभग घोषित हो चुके हैं. भाजपा अब तक बीजेपी को 48 सीटें मिलती दिख रही हैं. वहीं, कांग्रेस 37 सीट पर सिमटती नजर आ रही है. इस चुनाव में एक ट्रेंड टूटा है तो एक परंपरा कायम रही है. अब से पहले हरियाणा की जनता ने किसी पार्टी को लगातार तीन बार सरकार बनाने का मौका नहीं दिया था. लेकिन, इस बार यह ट्रेंड टूट गया है और भाजपा लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है. लेकिन, हरियाणावासियों ने एक परंपरा कायम रखी है. वह है ‘डबल इंजन की सरकार.’ हरियाणा में पिछले 25 साल से उसी पार्टी को जनता सत्ता सौंप रही है, जिसकी केंद्र में सरकार हो. यह ट्रेंड इस बार भी कायम रहा है.
हरियाणा को ‘डबल इंजन’ की सरकार खूब सुहाती रही है, लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 में हरियाणा में सत्तासीन भाजपा को बड़ा झटका लगा था और कांग्रेस-आप गठबंधन ने उससे पांच लोकसभा सीटें छीन लीं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्विप करते हुए सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कांग्रेस की बढ़ी सीटें और वोट शेयर ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या हरियाणावासी विधानसभा चुनाव 2024 में ढाई दशक से चली आ रही ‘डबल इंजन सरकार’ की परंपरा को कायम रखेंगे या फिर इस बाद ट्रेंड बदल देंगे? लेकिन, हरियाणा ने इस परंपरा को बरकरार ही रखा.
1999 से शुरू हुआ सिलसिला
हरियाणा में ‘डबल इंजन’ सरकार का सिलसिला 1999 से शुरू हुआ था, जब इनेलो के ओमप्रकाश चौटाला ने बंसीलाल सरकार के बाद भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई. उस वक्त लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ने गठबंधन में चुनाव लड़ा और सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की. एक साल बाद, 2000 में हुए हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी भाजपा और इनेलो ने मिलकर चुनाव लड़ा और 90 में से 53 सीटें जीतकर भारी बहुमत से सरकार बनाई. कांग्रेस को मात्र 21 सीटें ही मिलीं.
2005 में कांग्रेस की सत्ता में फिर वापसी
साल 2004 के लोकसभा चुनावों में केंद्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार बनी. हरियाणा में कांग्रेस ने 9 लोकसभा सीटें जीतीं, जबकि भाजपा केवल एक सीट ही जीत पाई. इसके बाद 2005 के हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने धमाकेदार जीत दर्ज की और 67 सीटों के साथ भारी बहुमत हासिल किया. इस जीत के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा पहली बार हरियाणा के मुख्यमंत्री बने.
2009 में भी बरकरार रही परंपरा
2009 के लोकसभा चुनावों में यूपीए एक बार फिर सत्ता में आई और हरियाणा में कांग्रेस ने 9 सीटें जीतीं, जबकि हरियाणा जनहित कांग्रेस को एक सीट मिली. विधानसभा चुनाव 2010 में हुए, जिसमें कांग्रेस पूर्ण बहुमत नहीं हासिल कर पाई. हालांकि, भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने निर्दलीय विधायकों के समर्थन से एक बार फिर सरकार बना ली.
2014 में सत्ता परिवर्तन: भाजपा का उदय
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा को भारी बहुमत मिला और वे प्रधानमंत्री बने. हरियाणा में भी भाजपा को 7 लोकसभा सीटें मिलीं, जबकि कांग्रेस केवल एक सीट जीत पाई. इसके बाद, विधानसभा चुनाव में हरियाणावासियों ने भाजपा को पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता सौंपी. भाजपा ने 47 सीटें जीतकर सरकार बनाई और मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री बने.
2019 में फिर दोहराया इतिहास
2019 के लोकसभा चुनावों में केंद्र में भाजपा ने एक बार फिर एनडीए गठबंधन के साथ जीत हासिल की. हरियाणा में भाजपा ने सभी 10 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया. इसके बाद हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा 40 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी, हालांकि पूर्ण बहुमत से दूर रही. जेजेपी और निर्दलीयों के सहयोग से भाजपा ने एक बार फिर सरकार बनाई और मनोहर लाल खट्टर लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने. इस रह, हरियाणा में एक बार फिर वही पार्टी सत्ता में आई, जो केंद्र में भी सरकार चला रही थी.
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 18:17 IST