विशाल कुमार/ छपरा: जिले के किसान अब वैज्ञानिक खेती के साथ-साथ उन्नत कृषि यंत्रों का उपयोग कर अपनी आय में वृद्धि कर रहे हैं. जीरो टिलेज मशीन के माध्यम से खेती करने पर जुताई के खर्च में बचत के साथ फसल भी अधिक मजबूत और लाभदायक हो रही है.
क्या है जीरो टिलेज मशीन का फायदा?
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एस.के. राय के अनुसार, इस मशीन से बुवाई करने पर खेत की जुताई की आवश्यकता नहीं पड़ती. किसान बीज और खाद को एक साथ मशीन में डालते हैं, जिससे बीज सीधे जमीन में सही गहराई पर जाता है. इसके प्रमुख फायदे इस प्रकार हैं:
1. खर्च में बचत : जुताई की आवश्यकता खत्म होने से समय और पैसे दोनों की बचत होती है.
2. बेहतर फसल की जड़ें : फसल की जड़ें जमीन के अंदर गहराई तक जाती हैं, जिससे फसल तेज हवा में गिरती नहीं और गर्म हवा में जल्दी सूखती नहीं.
3. 100% बीज अंकुरण : बीज जमीन में सही तरीके से जाने से अंकुरण की संभावना अधिक रहती है, जबकि छीट कर बुवाई करने पर 20% बीज नष्ट हो जाता है.
क्लाइमेट स्मार्ट एग्रीकल्चर योजना का हिस्सा
डॉ. राय ने बताया कि बिहार में जलवायु आधारित खेती की योजना के तहत यह तकनीक किसानों को सिखाई जा रही है. जलवायु परिवर्तन के कारण फसल बुवाई में देरी हो रही है, जिससे गेहूं की बुवाई दिसंबर के अंत या जनवरी के पहले सप्ताह तक खिंच जाती है. इस स्थिति में फसल कमजोर होने की संभावना रहती है.
जीरो टिलेज मशीन से समय पर खेती संभव
जीरो टिलेज मशीन के उपयोग से किसान 20 नवंबर से दिसंबर के अंत तक आसानी से बुवाई कर सकते हैं. जुताई न करने की वजह से समय की बचत होती है, जिससे फसल समय पर तैयार होती है.
फसल लाइन में होने से खरपतवार प्रबंधन आसान
इस मशीन से बीज लाइन में निकलता है, जिससे फसल के बीच घास या खरपतवार को निकालना आसान हो जाता है.
किसानों को पसंद आ रही तकनीक
किसानों का कहना है कि इस यंत्र का उपयोग करने से उत्पादन बढ़ता है और जुताई का खर्च बचता है. बेहतर फसल और कम लागत की वजह से किसान इसे अपनाना पसंद कर रहे हैं.
डॉ. राय का संदेश
डॉ. राय ने किसानों को जीरो टिलेज तकनीक अपनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि यह तकनीक न केवल उनकी आय बढ़ाएगी, बल्कि खेती को अधिक कुशल और टिकाऊ बनाएगी. जीरो टिलेज मशीन किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर आई है. कम लागत और अधिक मुनाफे की वजह से यह तकनीक बिहार के किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2024, 18:59 IST