महाराष्ट्र में जब देवेंद्र फडणवीन मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, तब उन्होंने भगवा रंग की तुर्रीदार खास पगड़ी पहन रखी थी. हर किसी का ध्यान इस ओर जा रहा था. क्या आप जानते हैं इस शानदार गजब की पगड़ी को क्या कहते हैं. ये पगड़ी मराठाओं की आन-बान-शान की प्रतीक है. जब भी कोई खास अवसर होता है तब महाराष्ट्र में लोग इसे जरूर पहनते हैं. इसे मराठी फेटा कहते हैं.
भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक तरह तरह की पगड़ियां पहनी जाती हैं. आमतौर पर ये पगड़ियां सम्मान का प्रतीक मानी जाती हैं और इनसे भारत का वाइब्रेंच कल्चर भी झलकता है. आमतौर पर भारत में 1000 से ज्यादा तरह की पगड़ियां पहनी जाती हैं. केवल महाराष्ट्र में ही 10 से ज्यादा तरह के फेटा पहने जाते हैं.
कल्चर को रिप्रेजेंट करती हैं
ये फेटा महाराष्ट्र में अलग अलग क्षेत्र के कल्चर को रिप्रेजेंट करते हैं तो अगल अलग तरह के अवसरों और हैसियत को भी बताते हैं. तुर्रीदार मराठी फेटा पगड़ी पहनने की एक शैली है, ये महाराष्ट्र में ही पाई जाती है.
केसरिया और सफ़ेद रंग से सराबोर महाराष्ट्र की फेटा पगड़ी एक असली मराठा की पहचान है. ये गर्व और प्रतिष्ठा का प्रतीक मानी जाती है. शादी और धार्मिक समारोहों में ये जरूर पहनी जाती है.
पेशवाओं ने फेटा को पहचान दी
कहा जाता है कि सैकड़ों सालों से फेटा मराठा इलाकों में पहनी जाती रही है. पेशवा युग में मुकुट की जगह खास फेटा ही पहनी जाती थी. ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार ठेठ मराठी फ़ेटा की उत्पत्ति कोल्हापुर शहर में शिवाजी के शासन के तहत हुई थी, जिसे आज महाराष्ट्र की ऐतिहासिक राजधानी माना जाता है.
कब और कैसे पहनते हैं
पारंपरिक मराठी फेटा शुभ और धार्मिक समारोहों में पहना जाता था, जबकि गैर-त्यौहारों के दौरान, मुंडासा नामक कपड़े की पगड़ी सिर के चारों ओर लपेटी जाती थी. कपड़े का यह साधारण टुकड़ा सिर के चारों ओर 6 से 7 चक्करों में लपेटा जाता है. पगड़ी का एक छोटा सा टुकड़ा पूंछ की तरह ढीला लटका रहता है जिसे शेमाला कहा जाता है. कुछ फेटा कपड़े सादे और एक रंग के होते हैं, जबकि कुछ अस्तर वाले और दोहरे रंग के होते हैं.
पुराने दिनों में, पारंपरिक फेटा मूल रूप से परिवारों के बड़े पुरुषों द्वारा सम्मान और कृतज्ञता और गरिमा के प्रतीक के रूप में पहना जाता था. इसे सांस्कृतिक रिवाज और परंपरा माना जाता था, जिसे पहले महाराष्ट्रीयन पुरुषों के लिए जरूरी माना जाता था.
कितनी होती है लंबाई
फेटा की सामान्य लंबाई आमतौर पर 3.5 से 6 मीटर होती है. चौड़ाई करीब 1 मीटर होती है. अवसर के आधार पर रंग अलग-अलग होते हैं; आमतौर पर इसका रंग केसरिया ही होता है जो वीरता को दर्शाता है. फेटा बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कपड़ा ज़्यादातर सूती होता है. इसके किनारे पर सुनहरे रंग या सोने की सजावट होती है जो इसे शाही लुक देती है.
अब फैशन स्टेटमेंट भी
समय बीतने के साथ इस पारंपरिक पोशाक ने चलन और फैशन का रूप ले लिया. ये अब फैशन स्टेटमेंट भी है. फेटा को पहनने की अलग-अलग शैलियां होती हैं, मसलन कोल्हापुरी, मावली, पुणेरी, लाहिड़ी और कई अन्य शैलियां.
फेटा अमिताभ ने भी शादी में पहना था
मराठी फेटा को अमिताभ बच्चन ने बेटे अभिषेक की शादी में पहना था. अभिषेक बच्चन और रितेश देशमुख जैसे मशहूर बॉलीवुड अभिनेताओं ने भी अपनी शादी के दिन मराठी फेटा पहना. मराठी फिल्मों में तो ये नजर आ ही जाता है.
कितने तरह के मराठी फेटा
1. पुनेरी
– पुणे के ब्राह्मण समुदाय और मराठा संस्कृति से जुड़ी यह पगड़ी सफेद या हल्के रंगों की होती है.
– इसे पहली बार पुणे के समाज सुधारकों द्वारा अपनाया गया और यह गरिमा व प्रतिष्ठा का प्रतीक है.
– ये आमतौर पर धार्मिक और औपचारिक आयोजनों में पहनी जाती है।
2. मराठा
छत्रपति शिवाजी महाराज के युग से प्रेरित यह पगड़ी लंबी और बड़ी होती है.
यह योद्धाओं की परंपरा को दर्शाती है और मराठा संस्कृति का प्रतीक है.
इसमें गहरे रंग और विशेष सजावट होती है, जैसे मोती या रत्न.
3. कोल्हापुरी
यह पश्चिमी महाराष्ट्र (कोल्हापुर) की एक खास शैली की पगड़ी है
कोल्हापुर की शादियों और सांस्कृतिक आयोजनों में इसे पहनना आम है
रंगों में केसरिया, लाल और गुलाबी अधिक प्रचलित हैं
4. नवरात्र
यह विशेष रूप से नवरात्रि और दशहरा जैसे त्योहारों में पहनी जाती है
आमतौर पर केसरिया या भगवा रंग की होती है
यह पगड़ी शक्ति, सम्मान, और धार्मिकता का प्रतीक है
6. शाही
शाही मराठा परिवार और प्रतिष्ठित घरानों में पहनी जाने वाली पारंपरिक पगड़ी
इसमें रेशमी कपड़े, सुनहरे धागों और अन्य अलंकरण का उपयोग होता है
7. कृषि
ग्रामीण महाराष्ट्र में किसान पगड़ी पहनते हैं, जो साधारण और हल्के कपड़े की होती है
यह धूप और गर्मी से बचाने के लिए उपयोगी होती है
8. आधुनिक डिजाइनर फेटा
आज के समय में विशेष रूप से शादियों और फैशन शो में स्टाइलिश पगड़ी पहनने का चलन बढ़ा है
इसमें पारंपरिक और आधुनिक डिज़ाइन का मिश्रण होता है
9. वरमाला फेटा
यह दूल्हे द्वारा शादी के दौरान पहनी जाती है
यह अक्सर केसरिया या सुनहरे रंग की होती है और इसमें विशेष सजावट होती है
महाराष्ट्र में पगड़ी पहनने का उद्देश्य केवल सजावट नहीं, बल्कि यह संस्कृति, सम्मान और परंपराओं को बनाए रखने का भी प्रतीक है
Tags: Devendra Fadnavis, Maharashtra Government
FIRST PUBLISHED : December 4, 2024, 13:07 IST