रांची. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी नई टीम बना ली है. इस टीम में वैसे तो कई दागी चेहरे हैं. लेकिन, एक चेहरा ऐसा भी है, जिसके ऊपर एक नहीं दो नहीं पूरे 95 आपराधिक मामले दर्ज हैं. खास बात यह है कि वह शख्स सीएम हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी कर चुका है. इसके बाद भी सीएम हेमंत सोरेन ने उस शख्स को अपने मंत्रिमंडल में जगह दी है. ये विधायक कोई और नहीं जामताड़ा के कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी हैं.
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में इरफान अंसारी ने जेएमएम के संस्थापक शिबू सोरेन के बड़े बेटे स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन पर ऐसी टिप्पणी की थी, जिसको लेकर झारखंड से लेकर दिल्ली तक हंगामा मचा था. झारखंड चुनाव के प्रभारी और असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा को बोलना पड़ा था कि अगर मेरी सरकार बनती है तो इरफान अंसारी को जेल में डालेंगे. लेकिन, उस महिला का अपना देवर हेमंत सोरेन ने इरफान अंसारी को मंत्रिमंडल में जगह दे दी.
हेमंत सोरेन अब क्या करेंगे?
हालांकि, सवाल यह भी उठता है कि क्या झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन अपनी भाभी से इसलिए नाराज हैं कि क्योंकि, उन्होंने जेएमएम छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर लिया? या फिर कांग्रेस के दवाब में और मुस्लिम वोट बैंक खिसकने के डर से इरफान अंसारी को मंत्री बनाया?
अंसारी को मंत्री बनाना मजबूरी या भाभी को जवाब?
जामताड़ा के कांग्रेस विधायक डॉ इरफान अंसारी पर 95 आपराधिक मामले दर्ज हैं ही लेकिन, इसमें दो केस गंभीर मामलों में दर्ज किए गए हैं. सीता सोरेन पर विवादित टिप्पणी भी इसमें एक है. इरफान के बयान देने के बाद मामला इतना बिगड़ा कि बात एससी-एसटी आयोग तक पहुंच गई थी. सीता सोरेन ने इस बयान के बाद कैमरे के सामने रोई भी थी. हालांकि जब विवाद बढ़ गया तो इरफान अंसारी ने माफी मांग ली थी.
सीता सोरेन बीजेपी में नहीं रही असरदार
आपको बता दें कि बीजेपी की टिकट पर सीता सोरेन जामताड़ा सीट पर चुनाव लड़ रही थीं. सीता सोरेन का मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी डॉ इरफान अंसारी से था. चुनाव प्रचार के दौरान इरफान ने सीता सोरेन पर काफी भद्दी टिप्पणी कर दी, जिसको लिखना भी ठीक नहीं है. हालांकि, इस चुनाव में सीता सोरेन हार गईं. इरफान ने सीता सोरेन को लगभग 44 हजार वोटों से हराया.
क्या कहते जेएमएम नेता?
इस बारे में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता मनोज पांडेय भी बोल चुके हैं कि सीता सोरेन और चंपई सोरेन दोनों हमारे लिए आदरणीय हैं. चंपई सोरेन को हमलोग अपना अभिभावक मानते हैं और सीता भाभी तो परिवार की सदस्य हैं. लेकिन, दोनों नेताओं को लेकर फैसला हेमंत सोरेन और गुरु जी को लेना है.
लोकसभा चुनाव में भी सीता सोरेन को बीजेपी ने टिकट दिया था, लेकिन लोकसभा चुनाव भी सीता सोरेन हार गईं. अब, विधानसभा चुनाव भी हार गई हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि बीजेपी नेता भी अंदर खाने बोलना शुरू कर दिए हैं कि जिस आदिवासी वोट बैंक के लिए सीता सोरेन और चंपई सोरेन पार्टी में आए थे, उसमें दोनों खरे नहीं उतर पाए. झारखंड के राजनीतिक गलियारे में यह भी चर्चा चल रही है कि जेएमएम सीता सोरेन और चंपई सोरेन को लेकर नरम रुख है. ऐसे में दोनों नेताओं की क्या एक बार फिर से घर वापसी हो सकती है? क्योंकि, शिबू सोरेन के लिए दोनों प्रिय रहे हैं. एक पुत्रवधु है तो एक सबसे पुराना साथी.
Tags: CM Hemant Soren, Jharkhand mukti morcha, Jharkhand news, Jharkhand Politics
FIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 21:31 IST