खंडवा. उज्जैन सिंहस्थ 2028 से पहले तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में एकात्म धाम के म्यूजियम, गुरुकुल सहित अन्य बाकी काम पूरे हो जाएंगे. अद्वैत लोक के निर्माण के लिए ठेकेदार फरवरी 2025 तक नियुक्त किया जाएगा, जबकि वेदांत संस्थान और शंकर निलयन के लिए जून 2025 में कांट्रैक्टर की नियुक्ति की जाएगी। इन दोनों कामों को पूरा करने की डेडलाइन शासन ने दिसंबर 2027 तय की है.
तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में बन रहे आदिगुरु शंकराचार्य के एकात्म धाम के सिंहस्थ से जुड़े मूलभूत सुविधाओं, खासकर आवागमन के रास्तों को ठीक ढंग से बनवाया जाएगा, ताकि तीर्थयात्रियों को कोई परेशानी न हो. अब केवल 12 साल में एक बार नहीं, बल्कि सालभर लोग ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर सकेंगे. यह धार्मिक पर्यटन का एक नया प्रकल्प बनकर उभरेगा। हमारा प्रयास है कि देश-दुनिया का कोई भी व्यक्ति जो दो ज्योतिर्लिंग के दर्शन करना चाहता है, उसे सुविधाएं उपलब्ध हों.
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में फोरलेन निर्माण होगा और हमने हवाई सेवा की शुरुआत की थी, अब दोबारा हवाई सेवा के प्रयास किए जाएंगे। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का जो स्वरूप इंजीनियर बताएंगे, उसी अनुसार कार्य होगा.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ओंकारेश्वर पहुंचकर आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के दर्शन किए और उसे नमन किया. मुख्यमंत्री का पारंपरिक वाद्य यंत्रों और लोकगीतों से स्वागत किया गया। इस अवसर पर ओंकारेश्वर नगरी के साधु-संत भी पहुंचे थे और उन्होंने आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा की पूजा अर्चना की. मुख्यमंत्री ने ओंकारेश्वर के संतों का आशीर्वाद लिया और संतों ने उन्हें आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा भेंट की.
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ओंकारेश्वर आदि गुरु शंकराचार्य की तपोभूमि है और मां नर्मदा का आशीर्वाद भी यहां है. उन्होंने बताया कि आज जब उज्जैन में कुंभ होता है, तो मां नर्मदा के जल से अभिषेक किया जाता है. आदि गुरु शंकराचार्य ने चार मठों की स्थापना की थी. उन्होंने यह भी कहा कि देश में अयोध्या में राम मुस्कुरा रहे हैं, तो मां नर्मदा के तट पर भी खुशी देखने को मिलेगी. “जय जय शंकर, हर हर शंकर” के जय घोष भी लगाए गए.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि गुरु पूर्णिमा पर हम गुरु की पूजा करते हैं, लेकिन आदि गुरु शंकराचार्य को नमन करना ही हमारे लिए हर दिन गुरु पूर्णिमा है. भगवान श्री कृष्ण ने जहां-जहां लीला रची, वहीं श्री कृष्ण ने उज्जैन में शिक्षा ली और गीता का जन्म भी यहीं हुआ.
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मध्य प्रदेश में जितने भी बड़े त्योहार हैं, उन्हें धूमधाम से मनाया जाता है। जैसे सूर्य पूरे विश्व में प्रकाश देता है, वैसे ही आदि गुरु शंकराचार्य का ज्ञान भी पूरे विश्व में प्रकाश की तरह फैलेगा और सभी को उज्जवल करेगा.
प्रेस से चर्चा में उन्होंने कहा कि एकात्म धाम का कार्य समय सीमा में पूरा होगा. सनातन धर्म में आचार्य शंकर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है, और ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के साथ उन्होंने भी यहां शिक्षा ग्रहण की थी. उन्होंने यह भी बताया कि देश इस स्थान के महत्व को समझे, इसके लिए ही एकात्म धाम का निर्माण किया जा रहा है. सिंहस्थ में परिवहन और अन्य सुविधाओं पर सरकार काम कर रही है, ताकि सालभर श्रद्धालुओं की भीड़ को कोई कठिनाई न हो. सड़क, रेल और हवाई सेवा सभी के लिए कार्य किए जा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 17:33 IST