खरगोन. खरगोन लोकसभा क्षेत्र क्रमांक-27 में 13 मई को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतदान हुआ था. खरगोन संसदीय क्षेत्र में चुनाव में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही हमेशा रहा है. बीजेपी ने वर्तमान सांसद गजेन्द्र सिह पटेल पर ही विश्वास व्यक्त कर उम्मीदवार बनाया, वहीं कांग्रेस ने उम्मीदवार बदलते हुए पोरलाल खरते को प्रत्याशी घोषित किया था. खरते सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में आए हैं. पिछले 20 साल से आदिवासी संगठनों से जुड़कर विभिन्न समाजिक गतिविधियों से जुड़े हैं. जयस का भी पोरलाल खरते को समर्थन है. हालांकि चुनाव प्रचार में बीजेपी आगे रही. परिणाम 4 जून को आएगा.
आदिवासी और किसान बाहुल्य खरगोन लोकसभा क्षेत्र मध्य प्रदेश का महत्वपूर्ण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र है. यह संसदीय क्षेत्र 1962 में अस्तित्व में आया. नर्मदा घाटी में बसे होने के कारण यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से खूब भरापूरा है. सतपुड़ा की पर्वत श्रेणियां और नर्मदा और उसकी सहायक नदियों से इलाका घिरा हुआ है.
खरगोन लोकसभा क्षेत्र पश्चिम निमाड़ के खरगोन जिले की चार खरगोन, कसरावद, महेश्वर और भगवानपुरा और बड़वानी जिले के चार विधानसभा क्षेत्र बड़वानी, राजपुर, पानसेमल और सेंधवा से मिलकर बना है. खरगोन-बड़वानी जिले को सफेद सोना यानी कपास का गढ़ माना जाता है. केन्द्र और राज्य सरकार की योजनाओं सहित नर्मदा सहित अन्य नदियों से सिंचाई की सुविधा मिलने से प्रदेश ही नहीं देश में अपनी अलग पहचान बनाई है. कपास, मिर्च, मक्का, मिर्च, गेहूं, सोयाबीन जैसी फसलों के रिकॉर्ड उत्पादन के लिए भी प्रसिद्ध है.
इस लोकसभा क्षेत्र में मुख्य रूप से मुकाबला दो ही पार्टियों भाजपा और कांग्रेस के बीच होता आया है. 1962 से लगाकर अब तक हुए उपचुनाव सहित 16 बार के चुनाव में 5 बार कांग्रेस ने तो 11 बार जनसंघ, भारतीय लोकदल और भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. 1989, 1991और 1996 और 1998 में भाजपा के रामेश्वर पाटीदार ने लगातार चार बार जीत दर्ज कर हैट्रिक के साथ रिकॉर्ड भी बनाया था.
1962 में पहली बार भारतीय जनसंघ के रामचन्द्र सांसद बने थे. 1967 में कांग्रेस के शशिभूषण ने चुनाव जीता था. 1971 में फिर रामचन्द्र बडे ने चुनाव जीतकर भारतीय जनसंघ पार्टी का परचम लहराया था. 1977 में जनसंघ से बने भारतीय लोकदल के रामेश्वर पाटीदार चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने थे लेकिन 1980 में कांग्रेस के युवा उम्मीदवार सुभाष यादव ने पहली बार चुनाव लड़कर कांग्रेस का झंडा यहां लहराया था.
रामेश्वर पाटीदार ने भाजपा का गढ़ बना दिया
1984 में फिर सुभाष यादव कांग्रेस की लहर में चुनाव जीतकर सांसद बने थे लेकिन 1989 से वर्ष 1998 तक चार बार लगातार भाजपा से जीतकर रामेश्वर पाटीदार ने खरगोन संसदीय क्षेत्र को भाजपा का गढ़ बना दिया था लेकिन 1999 में कांग्रेस के ताराचंद पटेल ने चुनाव जीतकर कांग्रेस की वापसी कराई थी. वर्ष 2004 में कृष्ण मुरारी मोघे ने भाजपा से जीता था लेकिन वर्ष 2007 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के युवा उम्मीदवार अरुण यादव चुनाव जीतकर राजनीती की शुरुआत की थी. बाद में परिसीमन में खरगोन लोकसभा क्षेत्र आरक्षित होने के बाद 2009 में माखनसिह सोलंकी, 2014 में सुभाष पटेल और 2019 में गजेंद्रसिंह पटेल ने चुनाव जीतकर भाजपा का खरगोन संसदीय क्षेत्र पर दबदबा बना रखा है.
गजेन्द्र सिंह पटेल और पोरलाल खरते के बीच मुकाबला
खरगोन जिले के कसरावद सचिन यादव और भगवानपुरा केदार डाबर कांग्रेस के और खरगोन में बीजेपी के बालकृष्ण पाटीदार और महेश्वर राजकुमार मेव विधायक हैं. इधर बड़वानी जिले के बड़वानी से राजेन्द्र मंडलोई, राजपुर से बाला बच्चन, सेंधवा मन्टू सोलंकी कांग्रेस विधायक वहीं पानसेमल से बीजेपी श्याम बर्डे विधायक हैं. खरगोन में मुख्य मुकाबला बीजेपी के गजेन्द्र सिंह पटेल और कांग्रेस के पोरलाल खरते
के बीच है.
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FIRST PUBLISHED : June 4, 2024, 24:02 IST