खंडवा: पश्चिमी विक्षोभ के कारण मध्य प्रदेश के मौसम ने पलटी मार दी है. शीतलहर और बारिश का असर अब फसलों पर भी देखने को मिल रहा है. गेहूं, चना की फसल पर कीटों का प्रकोप दिख सकता है. ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों को जागरूक रहने के लिए कहा है. साथ ही दवाओं का छिड़काव करने के लिए भी कहा है. इस मामले में कृषि वैज्ञानिक डॉ. सौरभ गुप्ता ने बताया कि कहीं पर भारी बारिश तो कहीं ओले गिरने की संभावना है.
ऐसे में खेत में जो भी फसल हो चाहे गेहूं, मक्का, चना या कोई भी हो, उसमें इल्ली का विशेष रूप से ध्यान रखें. क्योंकि, बादल वाला मौसम चल रहा है और ऐसे में इल्ली का प्रकोप देखने को मिलता है. जिन इलाकों में ओलावृष्टि हो रही है, फसल में इल्ली का प्रकोप दिखने लगा है तो किसान एक केमिकल का इस्तेमाल करें. इसका नाम अल्फा नेफ्टिनल एसिटिक एसिड है. इसका स्प्रे करें ताकि फसल सुरक्षित रहें.
चने-गेहूं को ऐसे नुकसान
बता दें कि ओलावृष्टि और मावठे से गेहूं और चने की फसल को कई प्रकार से नुकसान हो सकते हैं. ओलावृष्टि से गेहूं और चने की फसल दब जाती है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है. इसके साथ ही गेहूं व चने के दाने टूट जाते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता खराब हो जाती है. मावठ के कारण गेहूं व चने की फसल में रोगों का प्रसार हो सकता है. इल्ली लगने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में दवा का छिड़काव शुरू कर दें, ताकि फसल सुरक्षित रहे.
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FIRST PUBLISHED : December 28, 2024, 20:57 IST