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Agri Tips: रबी फसलों की बुवाई पूरी, अब सिंचाई का समय, जानें कब और किस विधि से फसलों को दें पानी

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खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन सहित अन्य जिलों में रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है. अब किसानों के लिए सबसे जरूरी काम है फसल की सिंचाई का सही प्रबंधन करना, ताकि बेहतर उत्पादन हो सके. खरगोन में लगभग साढ़े तीन लाख हेक्टेयर में रबी की फसलों की बुवाई होगी. इनमें सबसे ज्यादा गेहूं का रकबा करीब 2 लाख 18 हजार हेक्टेयर है.

शेष रकबे में चना, मसूर, मटर और सरसों जैसी फसलों की बुवाई होती है. लेकिन, बेहतर पैदावार के लिए बुवाई के बाद जब उनकी क्रांतिक अवस्थाओं पर सही समय और विधि से सिंचाई की जाती है, तभी उत्पादन अच्छा मिलता है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि फसल की जरूरत के हिसाब से समय पर सिंचाई करने से गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बढ़ता है.

गेहूं की सिंचाई का सही समय
खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र प्रमुख एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. जीएस कुलमी ने बताया कि गेहूं की फसल में सिंचाई के चार चरण होते हैं. यदि केवल एक बार सिंचाई हो सकती है तो बुवाई के 20-25 दिन बाद, किरीट जड़ अवस्था में करें. यदि दो सिंचाई हो सकती है, तो पहली सिंचाई किरीट जड़ अवस्था और दूसरी पुष्पन अवस्था (80-85 दिन) पर करें. तीन सिंचाई उपलब्ध होने पर किरीट जड़, गभोट अवस्था (60-65 दिन) और दुग्ध अवस्था (100-105 दिन) पर पानी दें. यदि चार सिंचाई का प्रबंध है तो इन सभी चरणों के साथ कल्ले बनने का समय (40-45 दिन) पर भी सिंचाई करें.

चना, मसूर और मटर की सिंचाई 
चना की फसल में पहली सिंचाई फूल आने से पहले (40-45 दिन) और दूसरी सिंचाई घेंटी में दाना बनने के समय (95-100 दिन) पर करें. मसूर में पहली सिंचाई शाखा बनने (40-45 दिन) और दूसरी सिंचाई घंटी में दाना बनने (80-85 दिन) के समय करें. मटर में भी पहली सिंचाई फूल आने से पहले (40-45 दिन) और दूसरी दाना बनने के समय (80-85 दिन) पर करें.

सरसों और जौ की सिंचाई का समय
सरसों की फसल में पहली सिंचाई फूल आने से पहले (40-45 दिन), दूसरी फलियां बनने के समय (60-65 दिन), और तीसरी फलियों में दाना भरने (80-85 दिन) के समय करें. जौ की फसल में पहली सिंचाई कल्ले फूटने (35-40 दिन) और दूसरी दुग्ध अवस्था पर करें.

सिंचाई के लिए अपनाएं सही विधि 
सिंचाई के दौरान खेत की मिट्टी, पानी की उपलब्धता और फसल की मांग का ध्यान रखें. खेत में पानी सीधे छोड़ने की बजाय नालियां बनाकर सिंचाई करें. खेत में 4 से 6 मीटर लंबी नालियां बनाएं और मेढ़ों के सहारे पानी को नियंत्रित तरीके से छोड़ें. पानी कम होने पर स्प्रिंकलर विधि का उपयोग करें.

सिंचाई की जरूरत का पता लगाएं
फसल में सिंचाई की आवश्यकता का पता लगाने के लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखें. पत्तियां मुरझाने लगे या उनका रंग हल्का पड़ने लगे तो समझिए सिंचाई का समय आ गया है. मिट्टी में नमी की जांच के लिए टेन्शियोमीटर जैसे उपकरण का उपयोग भी कर सकते है. इसके अलावा सिंचाई हमेशा क्रांतिक अवस्थाओं पर ही करें और पानी की उपलब्धता हिसाब से इसे योजनाबद्ध तरीके से करें.

Tags: Agriculture, Local18, Mp news



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