भोपाल. तंदूरी खाने का स्वाद आपको भले ही लजीज लगता हो, लेकिन यह शहर की आबोहवा और आपके स्वास्थ्य के लिए बड़ा घातक है. वजह यह है कि तंदूर से बड़ी मात्रा में कार्बन डायऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी घातक गैस निकलती हैं और हवा में मिल जाती है. तंदूर के उपयोग पर NGT के बैन के बावजूद धड़ल्ले से इनका उपयोग होटल, रेस्टारेंट, स्ट्रीट फूड में हो रहा है. एनजीटी के निर्देशों के खिलाफ शहर के होटल और रेस्टोरेंट के बाहर सुलगती भट्टियां और तंजूर जहर उगल रहे हैं. इससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और लोगों की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो रही हैं.
NGT बीते साल भट्टियों और तंदुरों के इस्तेमाल पर पूरी तरह रोक लगा चुका है. दूसरी तरफ ठंड ने दस्तक दे दी है. इस सीजन में वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा होता है. भोपाल में फिलहाल एयर क्वालिटी 178 यानी कि मोडरेट स्तर पर है. यहां से स्थिति बिगड़ती है तो परिणाम घातक हो सकते हैं.
पिछले साल बरती सख्ती, अब भूले
पिछले साल अक्टूबर में NGT के आदेश के बाद नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने शहर में तेजी से कार्रवाई करते हुए 2 महीने में 30 से ज्यादा रेस्टोरेंट और होटल के खिलाफ भट्टी और तंदूर जलाने पर जुर्माना लगाया था. भट्टी और तंदूर जब्त किए गए. 17 रेस्टोरेंट को सील भी किया गया. वहीं पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने भी नवंबर 2023 में मुहिम चलाई, जहां तंदूर – भट्टी मिले उन दुकानों को सील करते हुए होटल- रेस्टोरेंट का लाइसेंस निरस्त किया गया. लेकिन अब 1 साल बाद मामला ठंडे बस्ते में है. इस मामले में नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने न्यूज़ 18 से कहा कि एनजीटी की रोक के आधार पर पहले भी हमने तंदूर हटाने का अभियान चलाया था. वैकल्पिक समाधान की तरफ कदम बढ़ाए गए थे. दोबारा जरूरत पड़ी तो अभियान चला कर इसके खिलाफ कार्रवाई करेंगे. एयर क्वालिटी इंडेक्स में गिरावट ना आए, एनजीटी के निर्देशों का पालन हो, इसको सुनिश्चित करेंगे.
भोपाल में प्रदूषण के हालात
अक्टूबर में ही AQI- 178 , मोडरेट स्थिती में पहुंचा
धूल से 62.2% तक प्रदूषण फैल रहा
परिवहन से 13.0% प्रदूषण
कंस्ट्रक्शन से करीब 12.1% प्रदूषण बढ़ने का अनुमान
खुले में कचरा जलाना 2.9% तक एयर पॉल्यूशन बढ़ा रहा
हालत देखकर चिंतित जानकार
धड़ल्ले से जल रहे तंदूरों पर चिंता जताते हुए पर्यावरणविद डॉ सुभाष पांडेय ने कहा कि इस मौसम में एयर पॉल्यूशन का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है, क्योंकि जहरीली गैस कम तापमान के चलते बाहर नहीं जा पाती. 10 – 12 फीट की हाइट पर घूमती रहती हैं. तंदूर से निकलने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी खतरनाक गैस हवा में मिल जाती हैं. यह स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक और कई बार प्राण घातक हो जाता है. पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड और नगर निगम को कार्रवाई करना चाहिए.
तंदूर में जलती है लकड़ी और कोयला
तन्दूर और अन्य भट्टियों में लकड़ी या कोयले का इस्तेमाल किया जाता है. इससे ग्रीन हाउस गैसेस बनती हैं. कार्बन मोनोऑक्साइड ,कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन हवा में मिल जाती है. बारिश के बाद शहर में बढ़ते धूल और तन्दूर की वजह से एयर क्वालिटी 178 तक पहुंच गया है. तंदूर, धूल, गाड़ियों के धुएं से निपटने के जल्दी बेहतर इंतजाम नहीं हुए तो यह आंकड़ा और भी बिगड़ सकता है.
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FIRST PUBLISHED : October 21, 2024, 17:47 IST