9 जजों की बेंच ने खनिज पर केंद्र और राज्य सरकार के हक पर फैसला सुनाया.CJI चंद्रचूड़ की बेंच में 9 में से 8 जजों ने राज्यों को हक देने का फैसला किया.न्यायमूर्ति नागरत्ना इसे देश के फेडरल सिस्टम के खिलाफ करार दिया.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने गुरुवार को असहमतिपूर्ण फैसले में कहा कि यदि खनिज संसाधनों पर कर लगाने का अधिकार राज्यों को दे दिया गया तो इससे संघीय व्यवस्था चरमरा जाएगी क्योंकि वे आपस में प्रतिस्पर्धा करेंगे और खनिज विकास खतरे में पड़ जाएगा. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय बेंच ने बहुमत के फैसले में कहा कि खनिज अधिकारों पर कर लगाने की विधायी शक्ति राज्यों में निहित है और खनिजों पर दी जाने वाली रॉयल्टी कोई कर नहीं है. हालांकि नौ सदस्यीय पीठ में न्यायमूर्ति नागरत्ना ने अलग फैसला सुनाया.
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने 193 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा कि खनिजों पर देय रॉयल्टी कर की प्रकृति की है, न कि यह केवल एक संविदात्मक भुगतान है. उन्होंने कहा, ‘‘यदि रॉयल्टी को कर नहीं माना जाता है और इसे खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) (एमएमडीआर) अधिनियम, 1957 के प्रावधानों के अंतर्गत शामिल किया जाता है, तो इसका अर्थ यह होगा कि प्रविष्टि 54-सूची एक और एमएमडीआर अधिनियम, 1957 की धारा 2 में की गई घोषणा के बावजूद, राज्यों द्वारा खनन पट्टा धारक पर रॉयल्टी के भुगतान के अतिरिक्त खनिज अधिकारों पर कर लगाया जा सकता है.’’
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राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा होगी…
संविधान की सूची एक की प्रविष्टि 54, केंद्र द्वारा खदानों और खनिज विकास के विनियमन से संबंधित है. न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि अतिरिक्त राजस्व प्राप्त करने के लिए राज्यों के बीच अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी और परिणामस्वरूप, खनिजों की लागत में भारी, असंगठित और असमान वृद्धि के परिणामस्वरूप ऐसे खनिजों के खरीदारों को भारी धनराशि चुकानी पड़ेगी. उन्होंने कहा कि खनिजों की कीमतों में भारी वृद्धि के परिणामस्वरूप कच्चे माल के रूप में या अन्य बुनियादी ढांचे के प्रयोजनों के लिए खनिजों पर निर्भर सभी औद्योगिक और अन्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि होगी.
भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा…
न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप भारत की समग्र अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, जिससे कुछ संस्थाएं या यहां तक कि खनिज न निकालने वाले राज्य भी खनिजों का आयात करेंगे, जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘इससे खनिज विकास और खनिज अधिकारों के प्रयोग के संदर्भ में संविधान के तहत परिकल्पित संघीय प्रणाली ध्वस्त हो जाएगी. इससे उन राज्यों में खनन गतिविधियों में मंदी आ सकती है, जहां खनिज भंडार हैं, क्योंकि खनन लाइसेंस धारकों को भारी शुल्क देना होगा.’’ न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि इसका एक अन्य प्रभाव उन राज्यों में खनन पट्टे प्राप्त करने के लिए ‘‘अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा’’ के रूप में होगा, जिनके पास खनिज भंडार हैं और जो रॉयल्टी के अलावा कोई अन्य शुल्क नहीं लगाना चाहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : July 25, 2024, 22:57 IST