हरियाणा विधानसभा चुनाव की गिनती शुरू हुई तो कांग्रेस ने पहले एक घंटे में ही बहुमत हासिल कर लिया. बीजेपी 20 सीटों से नीचे दिखने लगी. टीवी चैनलों ने इसे कांग्रेस की सुनामी कहा. हालांकि, सुबह 10 बजे तक स्थिति बदल गई और अब बीजेपी राज्य में ऐतिहासिक तीसरी बार जीत की ओर बढ़ती नजर आ रही है. चुनाव नतीजों से पहले एग्जिट पोल में भी कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी की गई थी. कहा गया कि किसान, जवान और पहलवान बीजेपी से नाराज हैं. इस वजह से उससे सत्ता छिन जाएगी, लेकिन असल नतीजे आए तो कहानी पलट गई है. आखिर बीजेपी ने ये कैसे किया, समझते हैं…
एससी-ओबीसी वोटर्स को साधने में कामयाब रही BJP
बीजेपी की जीत एक और बात की तरफ इशारा करती है. वो ये कि लोकसभा चुनाव से सबक लेते हुए वो गैर जाट वोटर्स को गोलबंद करने में कामयाब रही. खासकर एससी और ओबीसी समुदाय से आने वाला मतदाओं को अपनी तरफ खींचने में कामयाब रही. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि चुनाव से ऐन पहले बीजेपी की CM बदलने की रणनीति कामयाब रही. नायब सिंह सैनी, ओबीसी समुदाय से आते हैं. उनके सीएम बनने से ओबीसी वोटर्स के बीच एक पॉजिटिव मैसेज गया.
हरियाणा में जाट वोर्टस का वोट बैंक बहुत बड़ा है और खासकर कांग्रेस उनके समर्थन पर काफी निर्भर रही है. जाट वोटर्स कितने पावरफुल हैं इसका अंदाजा इस बातसे मिलता है कि राज्य में जाट समुदाय से आने वाले मुख्यमंत्री 33 साल तक शासन कर चुके हैं. साल 2014 में, जब बीजेपी सत्ता में आई तो कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) को जाना पड़ा. वह भी जाट से ही आते हैं. बीजेपी ने तब मनोहर लाल खट्टर को सीएम बनाया जो एक पंजाबी खत्री समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
जब 2019 में बीजेपी अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई, तो उसने जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला का समर्थन लेना पड़ा था, जो एक प्रमुख जाट नेता हैं.
एंटी इनकंबेंसी के बावजूद जीतना अहम
बीजेपी के लिए यह जीत और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उसके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी लहर थी. पार्टी भी इससे वाकिफ थी. इसलिये अंतिम समय में नेतृत्व परिवर्तन करना पड़ा. मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया. राज्य बीजेपी अध्यक्ष मोहन लाल बडोली और पूर्व सांसद संजय भाटिया जैसे वरिष्ठ नेताओं ने विधानसभा चुनावों से दूर रहने का फैसला किया.
उधर, लोकसभा चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा. 2024 के आम चुनावों में, बीजेपी ने 10 में से सिर्फ 5 लोकसभा सीटें जीतीं और 46.1 प्रतिशत वोट हासिल किए, जबकि कांग्रेस ने बाकी सीटें छीन लीं और 43.7 प्रतिशत वोट प्राप्त किए. जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर 58 प्रतिशत था, जो अब 12 प्रतिशत घटकर 46.1 प्रतिशत रह गया. हालांकि विधानसभा चुनाव के आंकड़े अब बिलकुल अलग तस्वीर पेश करते हैं.
रिजल्ट का महाराष्ट्र और दिल्ली पर कैसे होगा असर?
हरियाणा में जीत बीजेपी के लिए आने वाले चुनावों में एक शुभ संकेत जैसा भी है, जिसकी शुरुआत महाराष्ट्र से होगी. राजनीतिक विश्लेषक और लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं, “हरियाणा ने बीजेपी को 2024 लोकसभा चुनावों के दौरान देखी गई गिरावट को उलटने का पहला वास्तविक मौका दिया है. यहां जीत से महाराष्ट्र, झारखंड और अंततः दिल्ली में बेहतर प्रदर्शन की नींव रखी जा सकती है.” आपको बता दें कि महाराष्ट्र में इस साल के आखिर तक चुनाव होने वाले हैं. वहीं, झारखंड में भी जल्द चुनाव होंगे. संभव है कि दिल्ली का चुनाव भी इन राज्यों के साथ हो. हरियाणा में जीत से बीजेपी को एक तरीके से आगामी चुनावों में नैतिक बढ़त हासिल होगी.
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FIRST PUBLISHED : October 8, 2024, 16:45 IST