पूर्णिया. भारत की पहचान अनोखी परंपरा सांस्कृतिक विरासत और विविधताओं के लिए होती है. भारत में अनेकों जिले हैं जो अपने समृद्ध इतिहास समेटे हुए हैं. किसी न किसी खास वजह से जिले की पहचान होती है. कोई खानपान के लिए मशहूर है तो कोई पहनावा के लिए जाना जाता है क्या आपने कभी सोचा है कि भारत का सबसे पुराना जिला कौन सा है यानी कहें तो सबसे पहले किसे जिले का दर्जा मिला होगा. चलिए हम आपको पूरी खबर बताते हैं.
भारत में ऐसे कई जिले हैं जिनकी स्थापना आजादी से पहले की गई थी. वहीं जिले आज भी उसी नाम से जाने जाते हैं. हालांकि, आजादी के बाद से काफी जिलों को स्थापित किया गया है कई जिलों का गठन भी हुआ है जिलों का गठन वहां की मांग को देखते हुए किया गया है. क्या आपने कभी सोचा है कि भारत का सबसे पहला जिला कौन सा है? अगर आपने नहीं सोचा है तो हम आपको पूरी खबर विस्तार से बताते हैं.
बिहार में है भारत का सबसे पहला जिला
भारत का सबसे पुराना जिला बिहार में स्थित है. वहीं इस जिला का नाम पूर्णिया जिला है. पूर्णिया जिला काफी ऐतिहासिक और प्राचीन जिला है. वहीं इसकी स्थापना 1770 ईस्वी में ईस्ट इंडिया के द्वारा कराई गई थी जब अंग्रेज बिहार में तेजी से अपने पांव पास रहे थे और जगह-जगह नई-नई चीज स्थापित कर रहे थे. हालांकि, पूर्णिया जिले के नाम की बात करें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है, पूर्णिया जिला पूर्ण और अरण्य दोनों शब्दों से मिलकर बना है. पूर्णिया जहां सिर्फ जंगल ही जंगल हुआ करता था जंगल के अलावा पूर्णिया में कुछ भी नहीं होता था. वहीं इतिहासकारों की मानें तो पूर्णिया जिले के इतिहास की बात करें तो मुगल काल में यह जगह एक सैनिक सीमांत प्रांत था. यह मुगल सैनिकों का अड्डा हुआ करता था लेकिन अंग्रेज ने 1765 में पूर्णिया को अपने कब्जे में ले लिया और 10 फरवरी 1770 को पूर्णिया को एक जिला बना दिया जो भारत का सबसे पहला और पुराना जिला बना था. तब से ही पूर्णिया दुनिया भर में मशहूर हो गया और लोग भारत का सबसे पुराना जिला जहां तक गूगल में भी आपको भारत का सबसे पुराना जिला पूछने पर पूर्णिया जिला का ही नाम का जिक्र होगा.
बुद्धिजीवियों ने बताया पूर्णिया का इतिहास
जानकारी देते हुए पूर्णिया जिला के 86 वर्षीय वृद्ध सेवानिवृत प्रो प्रभात कुमार वर्मा एवं नीरज कुमार वर्मा सहित अन्य कई लोगों ने गूगल पर भी भारत का सबसे पुराने जिला का सवाल पूछा तो उन्हें पूर्णिया जिला का ही नाम सबसे पहले मिला. इसके बाद उन्होंने पूर्णिया की पुरानी कई चीजों को लोकल 18 संवाददाता से साझा किया. हालांकि, 86 वर्षीय वृद्ध प्रभात कुमार वर्मा ने कहा कि उन्होंने पूर्णिया में तकरीबन 34 साल विश्वविद्यालय में नौकरी की. पूर्णिया में कभी घनघोर जंगल और जानवरों का बसेरा हुआ करता था. पूर्णिया में डकैतों का प्रहार होता था एक जमाना था कि पूर्णिया आने से लोग कतराते थे. पूर्णिया को कालापानी की सजा के नाम व मलेरिया और डाइरिया के नाम से भी लोग जानते थे. पूर्णिया आने से पहले लोग मारना पसंद करते थे. कभी ऐसा हुआ करता था कि पूर्णिया की जमीन ₹30 प्रति कट्ठा की दर से मिला करती थी लेकिन आज वही पूर्णिया समय और जमाने के मुताबिक बदलता गया और पूर्णिया अब स्मार्ट सिटी के दायरे में आने लगा और अब लाखों करोड़ों में पूर्णिया की जमीन बिकती है.
पूर्णिया कॉलेज के सेवानिवृत वृद्ध 86 वर्षीय प्रभात कुमार वर्मा कहते हैं कि पूर्णिया आने से लोगों को पहले डर लगता था पूर्णिया में चारों तरफ घनघोर जंगल एवं टूटी फूटी सड़कें और देहाती रहन- सहन को लेकर लोग यहां पर परेशान रहते थे. लेकिन बहुत जल्दी ही पूर्णिया ने अपना स्वरूप बदल दिया और सरकार के प्रयास से और लोगों की सूझबूझ से पूर्णिया बहुत जल्द ही तरक्की कर गया जहां तक पूर्णिया में दुनिया भर के कई गंभीर मरीजों की इलाज करने के लिए पूर्णिया में मेडिकल कॉलेज सहित मेडिकल हब है तो वहीं पूर्णिया में शिक्षा स्वास्थ्य सड़क लोगों की हर मूलभूत एयरपोर्ट सहित सुविधा भी अब पूर्णिया में आसानी से उपलब्ध है.
लगभग 254 साल मे इतना बदल गया पूर्णिया
इतने कम समय यानी तकरीबन ढाई सौ साल में पूर्णिया की पूरी तरह रूपरेखा ही बदल गई और पूर्णिया का विकास काफी तेजी से होता गया और लोग भी आगे निकलते गए. ऐसे में पूर्णिया ने दुनिया भर के कई शहरों को पीछे छोड़ अब आगे बढ़ता जा रहा है. हालांकि, प्रोफेसर प्रभात कुमार वर्मा कहते हैं कि पूर्णिया में सरकार और जिला प्रशासन को और भी कई महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने की जरूरत है जिससे पूर्णिया का और भी नव निर्माण हो सके.
Tags: Bihar News, History of India, Local18, Purnia news
FIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 17:38 IST