अगर इस परियोजना को केंद्र से मंजूरी मिलती है, तो इन क्षेत्रों को विकसित करने के लिए 100 करोड़ रुपये का खर्च किया जाएगा. हालांकि, यह कार्य आसान नहीं होगा, क्योंकि पौंग बांध एक पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है। यहां किसी भी व्यावसायिक गतिविधि पर प्रतिबंध है. गौरतलब है कि वर्तमान में पौंग झील का अधिकांश क्षेत्र वन्यजीव अभयारण्य के अंतर्गत आता है, जहां किसी भी व्यावसायिक गतिविधि की अनुमति नहीं है. इसलिए इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए विकसित करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.
जल क्रीड़ा की अनुमति लेने की कोशिश
सूत्रों के अनुसार, प्रदेश सरकार ने चिन्हित क्षेत्रों में जल क्रीड़ा और अन्य गतिविधियों की अनुमति देने के लिए वन्यजीव अभयारण्य से छूट लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. करीब एक महीने पहले जिला प्रशासन के अधिकारी इन क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं, और अब भूमि हस्तांतरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है.
बुनियादी सुविधाओं का विकास
चिन्हित क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कॉटेज, पूल, स्पा और रेस्तरां जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाएगा. साथ ही, जल क्रीड़ा, साहसिक खेल, स्थानीय भोजन, संस्कृति, और कला को भी प्रमोट किया जाएगा. इन क्षेत्रों के विकसित हो जाने के बाद देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए यहां पहुंचना आसान होगा. पर्यटक हवाई मार्ग, सड़क, और रेलगाड़ी के जरिए इन क्षेत्रों तक आसानी से पहुंच सकेंगे.
एसडीएम शिल्पी वेक्टा की प्रतिक्रिया
एसडीएम देहरा शिल्पी वेक्टा ने लोकल 18 को बताया कि प्रदेश सरकार ने पर्यटन की दृष्टि से पौंग क्षेत्र के चिन्हित क्षेत्रों को विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया है. इसे स्वदेश दर्शन योजना के तहत विकसित किया जाएगा.